लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: हरदिल अजीज नेता थे लालजी टंडन

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 22, 2020 6:03 AM

उत्तरप्रदेश की राजनीति जातिवाद के लिए काफी बदनाम है. वहां का हर बड़ा नेता जातिवाद की बांसुरी बजाकर ही अपनी दुकानदारी जमा पाता है लेकिन लालजी टंडन ने इस मिथ्य को तोड़ा था.

Open in App

लालजी टंडन जैसे कितने नेता आज भारत में हैं? वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा में अपनी युवा अवस्था से ही थे लेकिन उनके मित्न, प्रेमी और प्रशंसक किस पार्टी में नहीं थे? क्या कांग्रेस, क्या समाजवादी, क्या बहुजन समाज पार्टी- हर पार्टी में टंडनजी को चाहने वालों की भरमार है.

टंडनजी संघ, जनसंघ और भाजपा से कभी एक क्षण के लिए विमुख नहीं हुए. यदि वे अवसरवादी होते तो हर पार्टी उनका स्वागत करती और उन्हें पद की लालसा होती तो वे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कभी के बन गए होते. वे पार्षद रहे, विधायक बने, सांसद हुए, मंत्री बने और फिर मध्यप्रदेश के राज्यपाल बने. जो भी पद या अवसर उन्हें सहज भाव से मिलता गया, उसे वे विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते गए.

उत्तरप्रदेश की राजनीति जातिवाद के लिए काफी बदनाम है. वहां का हर बड़ा नेता जातिवाद की बांसुरी बजाकर ही अपनी दुकानदारी जमा पाता है लेकिन टंडनजी थे कि उनकी राजनीति संकीर्ण सांप्रदायिकता और जातीयता के दायरों को तोड़कर उनके पार चली जाती थी. इसीलिए वे हरदिल अजीज नेता थे.

टंडनजी से मेरी भेंट कई वर्षो पहले अटलजी के घर पर हो जाया करती थी. उसे भेंट कहें या बस नमस्कार-चमत्कार! उनसे असली भेंट अभी कुछ माह पहले भोपाल में हुई जब मैं किसी पत्नकारिता समारोह में व्याख्यान देने वहां गया हुआ था.

आपको आश्चर्य होगा कि वह भेंट साढ़े चार घंटे तक चली. न वे थके और न ही मैं थका. मुझे याद नहीं पड़ता कि मेरे 65-70 साल के सार्वजनिक जीवन में किसी कुर्सीवान नेता यानी किसी पदासीन भारतीय नेता से मेरी इतनी लंबी मुलाकात हुई हो.

टंडनजी की खूबी यह थी कि वे जनसंघ और भाजपा के कट्टर सदस्य रहते हुए अपने विरोधी नेताओं के भी प्रेमभाजन रहे. उनके किन-किन नेताओं से संबंध नहीं रहे? आप यदि उनकी पुस्तक ‘स्मृतिनाद’ पढ़ें तो आपको टंडनजी के सर्वप्रिय व्यक्तित्व का पता तो चलेगा ही, भारत के सम-सामयिक इतिहास की ऐसी रोचक परतें भी खुल जाएंगी कि आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे. 284 पृष्ठ का यह ग्रंथ छप गया है लेकिन अभी इसका विमोचन नहीं हुआ है.

टंडनजी ने यह सौभाग्य मुझे प्रदान किया कि इस ग्रंथ की भूमिका मैं लिखूं. इस ग्रंथ में उन्होंने 40-45 नेताओं, साहित्यकारों, समाजसेवियों और नौकरशाहों आदि पर अपने संस्मरण लिखे हैं.

ये संस्मरण क्या हैं, ये सम-सामयिक इतिहास पर शोध करने वालों के लिए प्राथमिक स्रोत हैं. उनकी इच्छा थी कि इस पुस्तक का विमोचन दिल्ली, भोपाल और लखनऊ में भी हो. टंडनजी को मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि.

टॅग्स :लालजी टंडनउत्तर प्रदेशलखनऊ
Open in App

संबंधित खबरें

भारतWeather Alert: 5 दिन रहे सतर्क, उत्तर-पश्चिम भारत में लू को लेकर अलर्ट, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में दिखेगा असर, तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पहुंचेगा, जानिए अपने शहर का हाल

भारतSwati Maliwal Assault Case: केजरीवाल के 'विभव कुमार' की मुश्किल बढ़ी, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भेजा समन

भारतNarendra Modi In Azamgarh: 'देश-विदेश से जो भी ताकत इकट्ठी करनी है कर लो, सीएए खत्म नहीं कर सकते', पीएम मोदी ने दी चेतावनी

भारतSwati Maliwal Case Update: 'द्रौपदी की तरह चीरहरण किया गया, शीशमहल अब शोषण महल बन चुका है', बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा

क्राइम अलर्टLatehar-Badaun Rape News: 26 वर्षीय शिक्षक ने नौ वर्षीय छात्रा से किया दुष्कर्म, महिला ने मौलवी पर बलात्कार का आरोप लगाया, मामला दर्ज

राजनीति अधिक खबरें

भारतPM Modi Nomination: इतने बजे नामांकन दाखिल करेंगे पीएम मोदी, जानिए समय चुनने के पीछे का महत्व

राजनीतिLok Sabha Elections 2024: जानिए कौन हैं रमेश अवस्थी, 1990 से राजनीति में जुड़े....

राजनीतिLok Sabha Elections 2024: कानपुर में सीएम योगी की ललकार, कहा- तीसरी बार मोदी सरकार, अवस्थी को जिताएं

राजनीतिKanpur LS polls 2024: अक्षरा और मोनालिसा के रोड शो  में उमड़ा जनसैलाब, क्या टूटेगा जीत का रिकार्ड, अवस्थी रचेंगे इतिहास

राजनीतिKanpur LS polls 2024: रोडशो, जयकार और फूलों से स्वागत, पीएम मोदी ने कानपुर में भाजपा प्रत्याशी अवस्थी के समर्थन में किया रोड शो