वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक हैं। वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से जुड़े रहे हैं और उसके हिन्दी सेवा 'भाषा' के संस्थापक संपादक रहे हैं।Read More
अमेरिका का पूंजीवादी समाज मूलतः उपभोक्तावादी समाज बन गया है. असल बात ये है कि हिंसा से बचने के लिए हथियार रखने की निर्बाध परंपरा ने अमेरिका में निर्बाध हिंसा को पैदा किया है. ...
पट्टा तो वे बांधे हुए थे, क्योंकि कार में बैठे लोगों को पट्टा बांधना अनिवार्य है लेकिन हुआ यह कि कोई टीवी चैनल वाला पत्रकार उनसे भेंटवार्ता करने कार में आ बैठा. ...
भाजपा की मंशा है कि जैसे उत्तर भारत के राज्यों और केंद्र में भाजपा का नगाड़ा बज रहा है, वैसे ही सीमांत के इन प्रांतों में भी भाजपा का ध्वज फहराए। इसीलिए भाजपा के चोटी के नेता कई बार इस दूरदराज के इलाके में जाते रहे हैं। ...
भाजपा के प्रधानमंत्री और संघ के तपस्वी स्वयंसेवक के मुंह से ऐसी बात सुनकर कौन गदगद नहीं हो जाएगा? यदि भाजपा सरकार सांप्रदायिक सद्भाव पैदा करने और देश के पिछड़ों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ बुनियादी उपायों पर ध्यान दे तो भारत सिर्फ एक दशक में ही दुनिया का ...
पाकिस्तान की दुर्दशा से वे बहुत दुखी हैं लेकिन वे पाकिस्तान पर कर्ज लादने के अलावा क्या कर सकते हैं? उन्होंने 2 बिलियन डॉलर जो पहले दे रखे थे, उनके भुगतान की तिथि आगे बढ़ा दी है और संकट से लड़ने के लिए 1 बिलियन डॉलर और दे दिए हैं। ...
सिर्फ 100 भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 54.12 लाख करोड़ रुपए है। यदि इन अरबपतियों पर थोड़ा ज्यादा टैक्स लगाया जाए और उपभोक्ता वस्तुओं का टैक्स घटा दिया जाए तो सबसे ज्यादा फायदा देश के गरीब लोगों को ही होगा। ...
पाकिस्तान के पंजाब को गेहूं का भंडार कहा जाता है लेकिन सवाल यह है कि बलूचिस्तान और पख्तूनख्वाह के लोग आटे के लिए क्यों तरस रहे हैं? यहां सवाल सिर्फ आटे और बलूच या पख्तून लोगों का ही नहीं है, पूरे पाकिस्तान का है. ...
सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि सरकार का यह रवैया अनुचित है, क्योंकि 1993 में जो काॅलेजियम पद्धति तय हुई थी, उसके अनुसार यदि चयन-मंडल किसी नाम को दोबारा भेज दे तो सरकार के लिए उसे शपथ दिलाना अनिवार्य होता है। ...