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संपादकीयः नाक से दी जाएगी कोविड वैक्सीन, ...अब हारेगा कोरोना

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 08, 2022 3:48 PM

मंगलवार को भारत सरकार ने नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी। चार हजार लोगों पर परीक्षण के बाद भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई इस वैक्सीन को इस्तेमाल की अनुमति मिल गई।

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कोविड-19 महामारी के खात्मे की दिशा में भारत ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को इस महामारी से लड़ने के लिए नई ताकत मिलेगी। मंगलवार को भारत सरकार ने नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी। चार हजार लोगों पर परीक्षण के बाद भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई इस वैक्सीन को इस्तेमाल की अनुमति मिल गई। कोविड-19 महामारी ने 2020 और 2021 में विश्व में हाहाकार मचा दिया था। यह बीमारी तेजी से फैली और इसने दुनिया के लगभग सभी देशों में अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक तथा स्वास्थ्य ढांचे को तहस-नहस कर दिया था। लोग लाखों की संख्या में प्राणों से हाथ धो बैठे। कोरोना के इलाज तथा इसके प्रसार को रोकने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने गहन शोध किए। इससे इस महामारी को नियंत्रित करने वाली दवाएं तथा टीके तो मिले लेकिन महामारी को जड़ से अभी तक खत्म नहीं किया जा सका है। पोलियो तथा चेचक की तरह ही कोविड-19 को समूल नष्ट करने की दवा ढूंढ़ने में दुनिया भर के वैज्ञानिक जुटे हैं लेकिन लक्ष्य हासिल करने में कुछ वक्त लग सकता है।

 इस महामारी के विरुद्ध जंग में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उसने अपनी वैक्सीन विकसित की, भारतीय चिकित्सकों ने कारगर इलाज ढूंढ़ा। भारत यहीं तक सीमित नहीं रहा। उसने कई देशों को वैक्सीन तथा दवाओं की आपूर्ति की। कोरोना के प्रादुर्भाव के बाद महीनों तक भारत दुनिया के अन्य देशों की तरह वैक्सीन विकसित करने के लिए जूझता रहा। उसने जल्दी ही सफलता हासिल कर ली। देश में देखते-देखते वैक्सीन का इतना अधिक निर्माण होने लगा कि हम उसका निर्यात करने में सक्षम हो गए। आज भारत कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में वैश्विक महाशक्तियों की कतार में खड़ा है। भारत में कोविशील्ड तथा को-वैक्सीन समेत आधा दर्जन टीके मौजूद हैं, जो इस भयावह महमारी को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। इसके बावजूद देश ऐसी प्रतिरोधक वैक्सीन विकसित करने में जुटा था, जो इंजेक्शन जैसी तकलीफदेह न हो। उसे सफलता मिल गई और कोविड-19 को मात देने के मामले में मंगलवार 6 सितंबर का दिन चिकित्सा विज्ञान के गौरवशाली इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बन गया। 

बीबीवी 154 नाम की यह वैक्सीन 18 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों को दी जा सकेगी। चार हजार लोगों पर परीक्षण के बाद इस इंट्रानेजल वैक्सीन के कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आए। इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं किया जाता और यह पूरी तरह दर्दरहित है। वैक्सीन से श्वसन मार्ग के ऊपरी हिस्से में एंटीबॉडी बनती है जिसके कारण कोरोना के वायरस का प्रसार शरीर में नहीं हो पाता। कोविड-19 के विरुद्ध संघर्ष में भारत सफलता के नए प्रतिमान स्थापित करता जा रहा है। पहले वह वैक्सीन निर्माण में आत्मनिर्भर बना, फिर उसका निर्यात शुरू किया और दुनिया के सबसे विशाल टीकाकरण अभियान को उसने सफलतापूर्वक संचालित किया।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक सोमवार तक देश में लगभग 214 करोड़ लोग दोनों डोज लगवा चुके थे। 17 करोड़ से ज्यादा नागरिक बूस्टर डोज भी ले चुके हैं। कोरोना की पहली लहर बेहद मारक थी लेकिन उससे ज्यादा घातक दूसरी लहर थी। जब दूसरी लहर आई, तब पहली लहर के आघात से भारत ही नहीं पूरा विश्व संभलने का प्रयास कर रहा था। दूसरी लहर में कोरोना का वैरिएंट रूप बदलकर आ गया और उसने पहली लहर के मुकाबले कई गुना ज्यादा तबाही मचाई। मृतकों का आंकड़ा भी दुनियाभर में कई गुना ज्यादा बढ़ा। भारत में भी दूसरी लहर ने कहर मचाया। अस्पताल भर गए, दवाओं तथा ऑक्सीजन की कमी हो गई। मरीज दर-दर भटकते देखे गए। मानवीय त्रासदी का इतना भयंकर रूप 1918 के स्पेनिश फ्लू के बाद पहली बार नजर आया।

दूसरी लहर के बाद तीसरी और चौथी लहर भी भारत ने देखी लेकिन तब तक चिकित्सा सुविधाओं के बेहतर हो जाने तथा व्यापक टीकाकारण के कारण हालात काबू से बाहर नहीं गए। कोरोना का खतरा अभी भी टला नहीं है। उसके उन्मूलन के प्रयास जारी हैं लेकिन जिम्मेदारी हमारी भी है। कोविड-19 से बचने के लिए जो एहतियात बरते जाने चाहिए, उनके प्रति गंभीर होना होगा। नाक से देनेवाले वैक्सीन महामारी के विरुद्ध नया असरदार हथियार है। उसे विकसित करने के लिए चिकित्सा वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं।

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