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अवधेश कुमार का ब्लॉग: जाति जनगणना को लेकर उठते सवाल

By अवधेश कुमार | Updated: March 5, 2020 06:13 IST

अभी जाति के जो आंकड़े उपलब्ध हैं वो 1931 की जनगणना पर आधारित हैं. उसके आधार पर मंडल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की और उसे स्वीकार कर लिया गया.

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जाति जनगणना फिर एक बार बहस में आ गई है. पिछले दिनों बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि 2021 में होने वाली जनगणना में जातिगत गणना को शामिल किया जाए. यह ऐसा विषय है जिसके बारे में एक राय नहीं हो सकती किंतु किसी दल का साहस नहीं कि खुलकर विरोध करे.

वैसे 1 सितंबर 2018 को नरेंद्र मोदी सरकार ने फैसला किया था कि 2021 में अन्य पिछड़ी जातियों की गणना कराई जाएगी. उसके बाद से कई महीनों तक इस पर खूब बहस हुई और सरकार के इरादे पर अनेक प्रश्न उठाए गए. चूंकि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछड़ी जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा दे दिया था तो मंडल से निकले विरोधी नेताओं को लगा कि अगर इसने पिछड़ी जातियों की गणना करा ली तो उसका जनाधार बढ़ जाएगा.

जाहिर है, जब राजनीतिक नजरिए से किसी विषय पर विचार किया जाए तो उस पर निष्पक्ष प्रतिक्रि या की गुंजाइश खत्म हो जाती है. बहरहाल, चूंकि फिर से यह मांग सामने आ गई है तो इसका विचार करना आवश्यक है क्या जाति जनगणना कराया जाना उचित है?

जाति जनगणना की मांग दरअसल, पिछड़ी जातियों को लेकर होती है. कारण यही है कि मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर आरक्षण मिलने के बाद इनके नेता मानते हैं कि उनकी आबादी ज्यादा है जबकि आरक्षण का प्रतिशत कम.

अनुसूचित जाति-जनजाति की गणना हर बार होती है और उनको उनकी आबादी के अनुसार आरक्षण मिला है इसलिए पिछड़ी जाति के नेता भी ऐसा ही व्यवहार चाहते हैं.

अभी जाति के जो आंकड़े उपलब्ध हैं वो 1931 की जनगणना पर आधारित हैं. उसके आधार पर मंडल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की और उसे स्वीकार कर लिया गया.

1941 में हालांकि जाति जनगणना हुई थी लेकिन देश की हालत ऐसी हो गई कि उसे जारी नहीं किया जा सका. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन ने 2006 में एक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया था.

इसके अनुसार देश की कुल आबादी में से 41 प्रतिशत अन्य पिछड़े वर्ग की है. संगठन ने देश के 79,306 ग्रामीण घरों और 45,374 शहरी घरों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी. उसके बाद से ही मंडलवादी नेताओं ने उसे स्वीकारने या पिछड़ी जाति की जनगणना कराने की मांग आरंभ कर दी थी.

टॅग्स :जातिइंडियामोदी सरकारलोकमत हिंदी समाचार
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