crude oil production 2023: इस समय बढ़ती हुई महंगाई लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है. खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति संबंधी चिंताओं के बीच इस समय सऊदी अरब और रूस द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के निर्णय से कच्चे तेल की कीमतें पिछले 10 माह के उच्चतम स्तर लगभग 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने से महंगाई की चुनौती और कठिन हो गई है.
ऐसे में सरकार के लिए महंगाई कम करना बड़ा मुद्दा बन गया है. यद्यपि केंद्र सरकार ने 29 अगस्त को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम 200 रुपए घटाकर बड़ी राहत दी है, लेकिन आम आदमी सरकार से खाद्य पदार्थों की कीमतों के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल के दामों में कुछ कमी की भी अपेक्षा कर रहा है.
हाल ही में 5 सितंबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जुलाई 2023 में जो मुद्रास्फीति सप्लाई चेन के झटकों के कारण ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, उसे कम करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार जून 2023 में जो खुदरा महंगाई दर 4.87 फीसदी थी, वह माह जुलाई में 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा महंगाई दर केंद्र सरकार के 6 प्रतिशत की तय ऊपरी सीमा से अधिक है.
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए खुदरा महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है. इस समय खाद्य कीमतों में तेज बढ़ोत्तरी के कई कारण उभरकर दिखाई दे रहे हैं. काला सागर अनाज समझौता खत्म करने के रूस के फैसले और गेहूं उपजाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में बारिश नहीं होने के कारण अनाज के दाम बढ़ गए हैं.
देश में फसलों पर सफेद मक्खी के प्रकोप और मानसूनी बारिश के असमान वितरण से भी सब्जियां महंगी हुई हैं. स्थिति यह है कि सीमित आपूर्ति के कारण देश में थोक गेहूं की कीमतें पिछले दो महीनों में तेजी से बढ़ी हैं. स्थिति यह है कि महंगाई नियंत्रण के इन विभिन्न प्रयासों के बावजूद अभी खाद्य महंगाई नियंत्रित नहीं है.
वित्त मंत्रालय ने भी जुलाई 2023 की अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है कि वैश्विक तथा क्षेत्रीय अनिश्चितताओं और देश के भीतर आपूर्ति में अड़चनों की वजह से आने वाले महीनों में भी महंगाई ऊंची बनी रह सकती है. ऐसे में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा महंगाई दर पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को अधिक कारगर उपायों के साथ आगे आना होगा. देश में जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज की जानी होगी. खाद्य पदार्थों के थोक एवं खुदरा व्यापारियों के लिए भी उपयुक्त भंडारण सीमा लागू की जानी होगी.