शिवसेना की तरफ से यह बात खुलेआम कही जाती रही कि इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बालासाहब का सपना पूरा करने के लिए एक शिवसैनिक को बैठाना है. क्या भाजपा तब इस बात को नहीं सुन रही थी? यह बात इतने बार और इतने जोर से कही गई, कि भाजपा का माथा ठनक जाना चाहि ...
किसी भी मानक के आईने में देखें, भाजपा का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा है. दोनों राज्यों में उसके कई मंत्री बुरी तरह से चुनाव हारे. दोनों ही राज्यों में उसकी चुनावी रणनीतियों को कामयाब नहीं माना जा सकता. हरियाणा में जाट बनाम गैर-जाट का फंडा फ्लॉप ह ...
भारत में शिक्षा के गिरते हुए स्तर की यह बानगी मुङो अपने संस्थान विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) में दिखाई देती है. देश के इस सबसे प्रतिष्ठित शोध संस्थान के ज्यादातर विद्वान ब्रिटेन या अमेरिकी विश्वविद्यालयों के पढ़े हुए हैं. ...
कॉर्पोरेट टैक्स घटाने की इस परिस्थिति को सुधारने में शायद ही कोई भूमिका हो. टैक्स कटौती से कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा, उनके शेयर-मूल्यों में बढ़ोत्तरी होगी. इससे निवेशक स्टॉक एक्सचेंज में आएंगे, पर क्या उससे उत्पादन बढ़ेगा? क्या इससे मांग बढ़ेगी? अल्प ...
पहली बात यह कि जब ताकत न हो, फिर भी उसकी डींग हांकना एक दिमागी विकृति है. दूसरी बात यह है कि हिंदी के विस्तार को इससे जोड़ते ही दुनिया में तो इसका मजाक बनता ही है, भारत में अन्य भारतीय भाषाओं (जो साहित्यिक-सांस्कृतिक दृष्टि से हिंदी से अधिक पुरानी और ...
हमारे राष्ट्रवाद और लोकतंत्र का भाषाई विरोधाभास. मुङो याद आता है कि उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के समय कांग्रेस में गांधीजी की पहलकदमी पर एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि कांग्रेस अधिवेशनों की कार्यवाही हिंदी या हिंदुस्तानी में चलाई जाएगी. ...
जनता भीतर ही भीतर एक बात जरूर जानती-समझती है कि अर्थव्यवस्था का संकट रातोंरात नहीं उभरा है. यह लंबे अरसे से चली आ रही समस्याओं और गलतियों के कारण धीरे-धीरे संचित हुआ है. जिस तरह से यह सरकार एनपीए की समस्या से निपटी है, उसने भी संकट में कुछ योगदान किय ...