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Jaya Ekadashi 2021: जया एकादशी 2021 व्रत की पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त और पारण का समय

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 22, 2021 10:44 AM

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भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत को दिव्य फलदायी व्रत माना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने स्वयं इसकी महिमा का वर्णन युधिष्ठिर से किया था. एकादशी व्रत महीने में दो बार आता है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में. 23 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी 2021 का व्रत हैवैसे तो हिंदू मान्यताओं में हर एकादशी का महत्व है लेकिन इस दिन को बहुत पुण्यदायी कहा गया है. मान्यता है कि माघ के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत को करने से धन की कमी से जूझ रहे लोगों को समृद्धि मिलती है. साथ ही मृत्यु के बाद भूत-पिशाच जैसी योनि भी प्राप्त नहीं होती. जया एकादशी 2021 व्रत शुभ मुहूर्तएकादशी तिथि आरंभ- 22 फरवरी 2021 दिन सोमवार को शाम 05 बजकर 16 मिनट सेएकादशी तिथि समाप्त- 23 फरवरी 2021 दिन मंगलवार शाम 06 बजकर 05 मिनट तकजया एकादशी पारण शुभ मुहूर्त- 24 फरवरी को सुबह 06 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 09 मिनट तकपारणा अवधि- 2 घंटे 17 मिनट जया एकादशी 2021 का महत्वहर एकादशी की तरह जया एकादशी में भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा कहा गया है कि इस व्रत को करने वाले को अग्निष्टोम यज्ञ के बराबर फल मिलता है। पाप का अंत होता है और घर-परिवार में समृद्धि आती है। जया एकादशी के दिन व्रत करने वाले को अन्न का त्याग करना चाहिए और विधिवत पूजा के बाद दान करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं कर रहे हैं तो भी विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु सतनाम स्तोत्र का पाठ करें। साथ ही इस दिन सदाचार का पालन करें और सात्विक भोजन करें। इस दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा और तंबाकू आदि से भी परहेज करें। जया एकादशी 2021 पूजा विधिनारदपुराण के अनुसार जया एकादशी का व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में जगना चाहिए। इस दिन स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और एकादशी व्रत का संकल्प लें। इसके बाद एक छोटी चौकी पर लाल कपड़ा डाल कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद फूल आदि से पूजा स्थल को सजाएं और तुलसी जी को जल चढ़ाएं। भगवान विष्णु के सामने घी के दीये जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इसके बाद उनकी आरती उतारें। शाम के समय भी भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर आरती उतारें। पूजा के अगले दिन ब्रह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिण आदि देने के बाद पारण करें। एकादशी व्रत के लिए तैयारी दशमी की तिथि से ही आरंभ कर देना चाहिए।  मसलन दशमी को भी आप सात्विक भोजन आदि करें और अनुशासन में रहें। एकादशी के दिन किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए और किसी के प्रति बुरी सोच नहीं रखनी चाहिए।
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