सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। Read More
सीआईसी से पिछले पांच वर्षों में सूचना के अधिकार कानून का प्रचार-प्रसार करने एवं जागरूकता पर हुए खर्च का ब्योरा मांगा था। आरटीआई कानून, 2005 की धारा 26 में प्रावधान है कि सरकार अपने संसाधनों का उपयोग कर जनता में, विशेषकर साधनहीन समुदायों में आरटीआई के ...
नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया कि उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग से सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मिली है। ...
सूत्रों ने कहा कि सीडीएस का पद चार सितारा जनरल का पद होगा जो बराबर का ओहदा रखने वाले सेवारत सैन्य प्रमुखों में से सबसे आगे होगा। हालांकि प्रोटोकाल सूची में सीडीएस सेवारत सेना प्रमुखों से ऊपर होगा। ...
सूचना के अधिकार के तहत यह पता चला है कि लोकपाल के इस अस्थायी कार्यालय के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने मासिक किराया लगभग 50 लाख रुपये की दर से भुगतान किया है। इस विभाग ने 3 करोड़ 85 लाख रुपये का भुगतान अब तक (22 मार्च, 2019 से 31 अक्टूबर, ...
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि 'पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता' को कम नहीं करती है। इसलिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पद आरटीआई के दायरे में आता है। ...
आरटीआई एक्ट संशोधन बिल के निशाने पर सीधे केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का पद था. सरकार को सिर्फ सीआईसी के वेतन, भत्ते, अवकाश की उम्र और फिक्स कार्यकाल वाले प्रावधानों में ऐसा संशोधन करना था ताकि सीआईसी स्वतंत्र रूप से काम न कर सके. तात्पर्य ...