RTI से खुलासा: नई दिल्ली के अशोका होटल में किराए पर चल रहा है लोकपाल कार्यालय, मासिक किराया है 50 लाख रुपये

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 1, 2019 11:30 AM2019-12-01T11:30:56+5:302019-12-01T11:38:32+5:30

सूचना के अधिकार के तहत यह पता चला है कि लोकपाल के इस अस्थायी कार्यालय के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने  मासिक किराया लगभग 50 लाख रुपये की दर से भुगतान किया है। इस विभाग ने 3 करोड़ 85 लाख रुपये का भुगतान अब तक (22 मार्च, 2019 से 31 अक्टूबर, 2019 तक) किया गया है।

Lokpal paying Rs 50 lakh every month in rent to New Delhi’s Ashoka Hotel | RTI से खुलासा: नई दिल्ली के अशोका होटल में किराए पर चल रहा है लोकपाल कार्यालय, मासिक किराया है 50 लाख रुपये

इस वर्ष मार्च में, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीसी घोष को सरकार ने भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया था।

Highlightsलोकपाल का कार्यालय अशोका होटल में चल रहा है।इस वर्ष मार्च में, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीसी घोष को सरकार ने भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया था।

सूचना के अधिकार के तहत एक जवाब में यह जानकारी दी गई है कि “लोकपाल कार्यालय अस्थायी रूप से अशोका होटल से संचालित हो रहा है।"

दरअसल, राष्ट्रीय राजधानी में एक स्थायी कार्यालय नहीं होने की वजह से देश का सर्वोच्च भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाली संस्था लोकपाल का कार्यालय अशोका होटल में चल रहा है। यहां 50 लाख रुपये का मासिक किराया देता है। गौरतलब है कि यह एक पाँच सितारा लक्जरी होटल है।

सूचना के अधिकार के तहत यह भी पता चला है कि लोकपाल के इस अस्थायी कार्यालय के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने  मासिक किराया लगभग 50 लाख रुपये की दर से भुगतान किया है। इस विभाग ने 3 करोड़ 85 लाख रुपये का भुगतान अब तक (22 मार्च, 2019 से 31 अक्टूबर, 2019 तक) किया गया है। 

इस वर्ष मार्च में, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीसी घोष को सरकार ने भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया था। उनके अलावा, सरकार ने लोकपाल के कार्यालय में सभी नौ पदों के लिए चार न्यायिक और चार गैर-न्यायिक सदस्यों को भी नियुक्त किया है। जानकारी के लिए बता दें कि पीसी घोष की नियुक्ति के बाद से ही लोकपाल का कार्यालय अशोका होटल में दूसरी मंजिल से कार्य कर रहा है और इसके कार्यालय स्थान के लिए 12 कमरे हैं।

एचटी रिपोर्ट के मुताबिक, एक आरटीआई कार्यकर्ता, सुभम खत्री ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है। सुभम के पास लोकपाल सचिवालय द्वारा दी गई प्रतिक्रिया की प्रति भी है। सुभम ने इस वर्ष की शुरुआत में लोकपाल से इसके कार्यों और शिकायतों के निपटान के बारे में विवरण मांगा था।

आरटीआई की प्रतिक्रिया से यह भी पता चलता है कि 31 अक्टूबर, 2019 तक, लोकपाल को लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की 1,160 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 1000 शिकायतों को लोकपाल की पीठ ने सुना है। इन शिकायतों में से किसी भी मामले में लोकपाल ने अभी तक जांच पूरी नहीं की है। 

लोकपाल के पास किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार है, जो प्रधानमंत्री, या सरकार में मंत्री या संसद सदस्य हैं। इसके साथ ही समूह A, B, C और D के तहत सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाने के अधिकार लोकपाल के पास हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता शुभम खत्री ने कहा, “कानून के मुताबिक, लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने का अधिकार है और जांच के लिए सीबीआई या अन्य पुलिस एजेंसियों की मदद भी लेनी चाहिए। लेकिन मुझे आश्चर्य है कि पिछले सात महीनों में लोकपाल को मिली 1000 से अधिक शिकायतें मिली लेकिन इन मामले में कोई भी जांच शुरू नहीं हुआ है। ”

बता दें कि पिछले दिनों कार्यालय के किराया और मामलों के निपटान पर एक सवाल के जवाब में, लोकपाल न्यायमूर्ति पीसी घोष ने कहा कि वह इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। लेकिन, लोकपाल कार्यालय के लिए एक स्थायी स्थान की पहचान की गई है। " 

हम लोकपाल के लिए पहले से ही एक स्थायी कार्यालय स्थान की पहचान कर चुके हैं, हम इसे देख रहे हैं क्योंकि कार्यालय के स्थान में कुछ बदलाव किए जाने हैं और जल्द ही कार्यालय वहाँ स्थानांतरित हो जाएगा।"

2006 और 2011 के बीच कर्नाटक के लोकायुक्त रहे सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े ने कहा कि उन्होंने होटल अशोक को दिए जा रहे किराए में कोई समस्या नहीं देखी।

कार्यलय पर खर्च हो रहे पैसा के मामले में पूर्व लोकपाल ने कहा, '' जहां तक ​​मेरा अनुभव है, तो लोकपाल के लिए संस्थान की जरूरत पूरी होती है, भले ही वे हर महीने ऑफिस के किराये के लिए 50 लाख रुपये खर्च कर रहे हों। मुझे कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह पैसा सरकार की एक जेब से दूसरी जेब में जा रहा है। ” 

बता दें कि हेगड़े जब दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के प्रमुख थे। तब, उनके कार्यालय ने अशोक होटल के ठीक बगल में सम्राट होटल की एक पूरी मंजिल पर कब्जा कर लिया था। हेगड़े ने कहा, "चाहे इसकी अस्थायी व्यवस्था हो या तत्काल, जो भी कारण हो, लोकपाल को सुविधाजनक स्थान से चलाने के लिए एक परम आवश्यकता है।"

Web Title: Lokpal paying Rs 50 lakh every month in rent to New Delhi’s Ashoka Hotel

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