शास्त्रों की मानें तो चंद्र मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की उपासना के लिए लोग प्रदोष का व्रत करते हैं। यह व्रत कृष्ण व शुक्ल दोनों पक्ष में होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से गोदान जितने पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही आपको मृत्यु पश्चात उत्तम लोक प्राप्त होता है और अपने सांसारिक जीवन में भी आप निरोगी व स्वस्थ बने रहते हैं। सूर्यास्त से पूर्व स्नान आदि के बाद घर के ईशान कोण में स्थापित मंदिर में बैठकर पूजन करना चाहिए। Read More
Pradosh Vrart: प्रदोष व्रत को लेकर तिथियों और शुभ मुहूर्त की बात करें तो त्रोयदशी तिथि का आरंभ 26 सितंबर को दिन में 11.02 बजे से हो रहा है। इसके अगले दिन शिवरात्रि का व्रत होगा। ...
Pradosh Vrat and Masik Shivratri: आज प्रदोष व्रत के साथ-साथ आधी रात से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शुरू होने के कारण मासिक शिवरात्रि भी है। ...
Aaj Ka Panchang: सूर्य माघ नक्षत्र में हैं। वहीं, तिथि की बात करें तो भाद्रपदा के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात 11.28 बजे तक है। इसके बाद चतुर्दशी की शुरुआत होगी। ...
Pradosh Vrat Date & Time (प्रदोष व्रत कब है ): अभी भाद्रमद मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। ऐसे में इस महीने का पहला प्रदोष 28 सितंबर (बुधवार) को होगा। इसके बाद शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 11 सितंबर को पड़ेगा। ...
Sawan last Somvar and Pradosh Vrat 2019: सावन का आखिरी सोमवार होने के कारण 12 अगस्त का महत्व ऐसे भी काफी बढ़ गया है। साथ ही प्रदोष व्रत ने इस दिन को और शुभ बना दिया है। ...
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव इस ब्रह्मांड में हमेशा से मौजूद हैं और रहेंगे। इस ब्रह्मांड में जब कुछ भी नहीं था तब भी शिव थे और जब भविष्य में कुछ भी नहीं बचेगा, तब भी शिव होंगे। ...
प्रदोष व्रत: कहते हैं कि चंद्र देव एक बार क्षय रोग से पीड़ित हो गये थे। इसके चलते उन्हें कई कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। भगवान शिव ने चंद्र देव के उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी (तेरस) के दिन ही एक तरह से नया जीवन प्रदान किया। ...