Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का कैसे पड़ा नाम, क्या है मान्यता और क्या है प्रदोष व्रत की कथा, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 13, 2019 12:22 PM2019-06-13T12:22:26+5:302019-06-13T12:22:26+5:30

प्रदोष व्रत: कहते हैं कि चंद्र देव एक बार क्षय रोग से पीड़ित हो गये थे। इसके चलते उन्हें कई कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। भगवान शिव ने चंद्र देव के उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी (तेरस) के दिन ही एक तरह से नया जीवन प्रदान किया।

pradosh vrat katha story and importance of worshiping shive this day | Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का कैसे पड़ा नाम, क्या है मान्यता और क्या है प्रदोष व्रत की कथा, जानिए

प्रदोष व्रत कथा

Highlightsप्रदोष व्रत पर की जाती है भगवान शिव की विशेष पूजामान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैंहर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन होता है प्रदोष व्रत, इसे तेरस भी कहते हैं

प्रदोष व्रतभगवान शिव की पूजा और अराधन के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के लिए समर्पित इस व्रत को करने से मानव जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

इस महीने यानी जून में 14 जून को शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत है। इसके बाद इसी महीने में दूसरा प्रदोष व्रत 30 जून (कृष्ण पक्ष, आषाढ़) को पड़ रहा है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है। इसे शुक्ल और कृष्ण दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी के दिन किया जाता है। 

इस तरह हर महीने जिस प्रकार भगवान विष्णु को समर्पित दो एकादशी होते हैं, वैसे ही हर माह दो प्रदोष व्रत भी आते हैं। त्रयोदशी को तेरस भी कहा जाता है। ऐसे में जिस दिन भी प्रदोष व्रत होते हैं, उसकी महिमा अलग होती है। सभी का महत्व और लाभ भी अलग-अलग होता है। इस प्रकार से यूं तो हर दिन का प्रदोष शुभ है लेकिन कुछ विशेष दिन बेहद शुभ और लाभदायी माने जाते हैं। इसमें सोमवार को आने वाले प्रदोष, मंगलवार को आने वाले भौम प्रदोष और शनिवार को पड़ने वाले शनि प्रदोष का महत्व अधिक है।

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत को प्रदोष क्यों कहते हैं

इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहते हैं कि चंद्र देव एक बार क्षय रोग से पीड़ित हो गये थे। इसके चलते उन्हें कई कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। भगवान शिव ने चंद्र देव के उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी (तेरस) के दिन ही एक तरह से नया जीवन प्रदान किया। इसलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।

Pradosh Vrat 2019: जानिए प्रदोष व्रत से जुड़ी कथा

स्कंद पुराण में वर्णन किये गये कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी रोज अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती। ऐसे ही एक दिन वो जब भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे एक अत्यंत सुन्दर बालक दिखा। वह बालक उदास था और अकेला बैठा हुआ था। वह विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। हालांकि, ब्राह्मणी नहीं जानती थी कि वह बालक कौन है।

एक युद्ध में शत्रुओं ने धर्मगुप्त के पिता को मार दिया था और उसका राज्य हड़प लिया था। इसके बाद उसकी माता की भी मृत्यु हो गई। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और पालन-पोषण किया। वह महिला उस बालक को वैसा ही स्नेह देती जैसा वह अपने बच्चे को देती थी।

कुछ समय बाद ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देव मंदिर गई। यहीं उनकी भेंट ऋषि शांडिल्य से हुई। ऋषि ने बताया कि जो बालक मिला है वह विदर्भ देश के राजा का पुत्र है। यह सुनकर महिला उदास हो गई। इसे देख ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि की आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया। 

दोनों बालक कुछ दिनों बाद जब बड़े हुए तो वन में घूमने निकले गये। वहां उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त 'अंशुमती' नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे। 

गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए। कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता को पता चला कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है।

इसके बाद भगवान शिव की आज्ञा और आशीर्वाद से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से करा दिया। राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर फिर से अपना शासन स्थापित किया। मान्यता है कि ऐसा ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंद पुराण के अनुसार जो कोई प्रदोष व्रत करता है और इसकी कथा सुनता या पढ़ता है उसकी तमाम समस्याएं दूर होती हैं।

English summary :
Pradosha fast is one of the most important fast in hindu religion and worship of Lord Shiva. It is believed that by doing this fast dedicated to Lord Shiva all the sin of human life are dispelled.


Web Title: pradosh vrat katha story and importance of worshiping shive this day

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