भारतीय संसद का मॉनसून सत्र 2018 18 जुलाई से प्रारम्भ होकर 10 अगस्त तक चलेगा। सदन के के कुल 24 दिनों के इस सत्र में कुल 18 दिन सदन की बैठक होगी। सदन के इस सत्र में कुल 48 मामले पेश होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार इस दौरान 46 विधेयक और दो वित्तीय विधेयक पेश करेगी। इस सत्र में तीन तलाक़, मेडिकल एजुकेशन बिल और ट्रांसजेंडर बिल जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पेश होने वाले हैं। Read More
Birth and Death Certificate parliament monsoon session: विधेयक में सभी राज्यों से परामर्श लिया गया, लेकिन किसी ने कोई आपत्ति नहीं की। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाणपत्र का पंजीकरण सरल हो जाएगा। ...
गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में पेश किये गये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर कहा कि केंद्र सरकार ने संविधान में दिये शक्तियों के अनुरूप ही अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह विधेयक संसद में पेश किया है। ...
Parliament Monsoon session: लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ‘चलचित्र संशोधन विधेयक, 2023’ पर संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत की सौम्य संपदा में देश की धरोहर, विरासत, विविध ...
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने एक ऐसा बयान दिया है जिससे विपक्षी एकता को झटका लग सकता है। केंद्र के दिल्ली सेवा अध्यादेश को लेकर दीक्षित ने कहा है कि ये बिल सदन में पास होना चाहिए, ये बिल दिल्ली की स्थिति के मुताबिक है। ...
संसदीय लोकतंत्र में दो ही पक्ष होते हैं: सत्तापक्ष और विपक्ष, और दोनों की सकारात्मक भूमिका से ही संसद चल सकती है, पर जब-जब संसदीय गतिरोध पर सवाल उठते हैं, दोनों एक-दूसरे पर उंगलियां उठाने लगते हैं. ...
आम आदमी पार्टी ने सोमवार को अपने सभी राज्यसभा सांसदों को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश को बदलने के लिए लाए जाने वाले विधेयक पर पार्टी के रुख का समर्थन करने के लिए 31 जुलाई से 4 अगस्त तक सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन-लाइन व्हिप जारी किया ...
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दावा किया कि लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद पारित हुए सभी विधेयक संवैधानिक रूप से संदेह के घेरे में हैं। ...
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कहा है कि 24 जुलाई तक देश भर के विभिन्न जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 4,43,92,136 (लगभग साढ़े चार करोड़) से अधिक मामले लंबित हैं। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने यह भी बताया है कि इनमें से लगभग 1 लाख मामले 30 वर्ष से अधिक पुरा ...