कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद पारित हुए विधेयकों की संवैधानिक पर संदेह होता है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 30, 2023 03:28 PM2023-07-30T15:28:10+5:302023-07-30T15:31:58+5:30

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दावा किया कि लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद पारित हुए सभी विधेयक संवैधानिक रूप से संदेह के घेरे में हैं।

Congress MP Manish Tewari said, "Constitutionality of Bills passed after the acceptance of no-confidence motion against the government is doubtful" | कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद पारित हुए विधेयकों की संवैधानिक पर संदेह होता है"

फाइल फोटो

Highlightsकांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाने संभावना पर उठाया सवाल जिस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव हो, उसके विधेयक संवैधानिक रूप से संदेह के घेरे में हैंकेंद्र सरकार द्वारा कोई भी विधायी कार्य अविश्वास प्रस्ताव के नतीजों के बाद ही किया जाना चाहिए

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने रविवार को दावा किया कि लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद पारित हुए सभी विधेयक संवैधानिक रूप से संदेह के घेरे में हैं। सांसद तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी ठोस विधायी कार्य को अविश्वास प्रस्ताव के नतीजों के बाद ही रखा जाना चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि लोकसभा में पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 10 दिन की अवधि का उपयोग विधेयकों को पास कराने के लिए नहीं किया जा सकता है। मनीष तिवारी का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब केंद्र सरकार इस सप्ताह दिल्ली सेवा अध्यादेश को बदलने वाला संसद में लाने वाली है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कांग्रेस सांसद तिवारी ने कहा कि एक बार लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश हो जाने के बाद सदन के समक्ष पेश किये गये किसी भी कानून को न तो नैतिकता माना जा सकता है और न ही इसका कोई औचित्य बनता है। इसलिए अगर सरकार द्वारा कोई विधायक अविश्वास प्रस्ताव के नतीजों के बगैर आता है तो उससे संसदीय परंपराओं का उल्लंघन होता है।"

उन्होंने दावा किया कि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद संसद के किसी भी सदन में पारित किए गए सभी कानूनों की वैधता की जांच अदालत द्वारा की जाएगी कि वे कानूनी रूप से पारित हुए हैं या नहीं। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद किये गये सभी तरह के विधायी कार्य "संवैधानिक रूप से संदेह" के दायरे में आते हैं।

भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ 2018 के अविश्वास प्रस्ताव और 2019 के चुनावों में मिले भारी जनादेश की मौजूदा समय में तुलना करने पर मनीष तिवारी ने कहा, “यदि इतिहास खुद को एक बार दोहराता है, तो यह एक त्रासदी है और यदि ऐसा होता है तो यह बेहद दुखद है।”

अविश्वास प्रस्ताव के लिए विपक्षी गठबंधन इंडिया के सदस्यों की संख्या के बारे में तिवारी ने कहा कि यह सांसदों की संख्या का नहीं बल्कि संविधान की नैतिकता का सवाल है।

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए मनीष तिवारी ने कहा, ''मणिपुर में जो हुआ है और जो वहां हो रहा है वह बिल्कुल निंदनीय है। राज्य में भाजपा सरकार है और केंद्र में भाजपा सरकार है। इसलिए किसी को तो घटना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।''

उन्होंने कहा कि विपक्ष को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मणिपुर में "बेहद गंभीर स्थिति" पर संसद के दोनों सदनों में स्वत: संज्ञान लेते हुए बयान देंगे और फिर संसद में उनके बयान पर चर्चा होगी। लेकिन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से पीएम मोदी ने मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले ही उस गंभीर विषय पर बेहद सतही टिप्पणी की। पीएम मोदी की कार्यशैली बेहद दुखद है।

उन्होंने कहा, "इस प्रकार संयुक्त विपक्ष के पास सार्वजनिक जीवन में नैतिकता, ईमानदारी और जवाबदेही के सिद्धांत को लागू करने के लिए इस अविश्वास प्रस्ताव को लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था, जो संवैधानिक नियमों के अनुसार किसी भी शासन की अनिवार्य शर्त होनी चाहिए।"

यह पूछे जाने पर कि क्या अविश्वास प्रस्ताव से पहले सरकार द्वारा दिल्ली अध्यादेश को सदन में पेश किये जाने की स्थिति में विपक्षी गठबंधन इंडिया के दल इसमें बहस पर सरकार के सामने आएंगे या वो अविश्वास प्रस्ताव आने तक सरकार के किसी भी अध्यादेश का बहिष्कार करेंगे।

मनीष तिवारी ने कहा कि इसका एक निर्णय होगा, जिस पर विपक्षी गठबंधन जल्द ही फैसला ले लेगा। उन्होंने कहा, "वैसे आम धारणा है कि अध्यादेश संघवाद पर गंभीर हमला है। मेरे अनुसार हर कानून, चाहे वह महत्वपूर्ण हो या महत्वहीन हो, अविश्वास प्रस्ताव के परिणाम के बाद संसद के पटल पर रखे जाने चाहिए न कि उसके पहले।"

Web Title: Congress MP Manish Tewari said, "Constitutionality of Bills passed after the acceptance of no-confidence motion against the government is doubtful"

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