माघ मेला की शुरुआत हर साल पौष पूर्णिमा से होती है और महाशिवरात्रि तक जारी होता है। इस डेढ़ महीने के दौरान पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान की परंपरा है। पौष पूर्णिमा के अलावा जिन महत्वपूर्ण दिनों में स्नान और दान की परंपरा है, वे हैं- मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि। इसमें अमावस्या तिथि को बेहद शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर देवता धरती पर रूप बदलकर आते हैं और संगम में स्नान करते हैं। Read More
Magh Purnima 2021: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि इस बार 27 फरवरी है। इसे ही माघ पूर्णिमा कहते हैं। इसके अगले दिन से फाल्गुन माह की शुरुआत हो जाती है। ...
Paush Purnima 2021: पौष पूर्णिमा पर स्नान और दान का विशेष महत्व है। प्रयागराज में कल्पवास की शुरुआत भी पौष पूर्णिमा से हो जाती है और करीब डेढ़ महीने तक चलती है। ...
मौनी या माघ अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान का महत्व बेहद विशेष है। इस दिन मौन रहकर व्रत करने की भी परंपरा है। साथ ही दान और पितरों के तर्पण की भी परंपरा रही है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा का विधान है। ...
Magh Purnima 2020: माघ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत इस बार 8 फरवरी को ही शाम 4.01 बजे से हो चुकी है। इसका समापन आज (9 फरवरी) को दोपहर 1.02 बजे हो रहा है। ...
Ravidas Jayanti: वाराणसी के पास एक गांव में जन्मे रविदास जी को संत रैदास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था। ...