Ravidas Jayanti: रविदास जी कैसे बने संत और कैसे उनके कठौती में समाई गंगा, जानें 500 साल पुरानी ये दिलचस्प कथा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 8, 2020 08:37 AM2020-02-08T08:37:21+5:302020-02-08T12:01:45+5:30

Ravidas Jayanti: वाराणसी के पास एक गांव में जन्मे रविदास जी को संत रैदास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था।

Sant Ravidas Jayanti 2020 date, Magh purnima, who was sant Ravidas and his story, history | Ravidas Jayanti: रविदास जी कैसे बने संत और कैसे उनके कठौती में समाई गंगा, जानें 500 साल पुरानी ये दिलचस्प कथा

Ravidas Jayanti: संत रविदान कौन हैं, जानिए उनकी कहानी

HighlightsRavidas Jayanti: माघ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है रविदास जयंतीवाराणसी के पास एक गांव में हुआ था संत रविदास का जन्म, संत रैदास भी है इनका नाम

Ravidas Jayanti: संत रविदास जयंती इस बार रविवार (9 फरवरी) को है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार उनकी जयंती हर साल माघ माह के पूर्णिमा पर मनाई जाती है। उनके जन्म के साल को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है। कुछ तथ्यों के आधार पर संत गुरु रामदास का जन्म 1377 के आसपास बताया जाता है। वहीं, कुछ इसे 1450 के आसपास भी बताते हैं। वाराणसी के पास एक गांव में जन्मे रविदास जी को संत रैदास के नाम से भी जाना जाता है। 

रविदास जी अपने दोहों और कविताओं के जरिए उस समय समाज में चल रही बुराइयों जैसे छूआ-छूत और दूसरे आडंबरों पर तंज भी कसते थे। उन्होंने कई ऐसे दोहों, कविताओं, कहावतों की रचना की जो आज भी काफी प्रचलित हैं। इसी में से एक कहावत 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' भी है, जिसका अक्सर हम इस्तेमाल करते हैं।

Ravidas Jayanti: संत रविदास कैसे बने संत

15वीं सदी के महान समाज सुधारक संत रविदास के पिता जूते बनाने का काम करते थे। रविदास उन्हीं के साथ रहकर उनके काम में हाथ बंटाते थे। रविदास का मन लेकिन शुरू से ही साधु-संतों के साथ ज्यादा लगता था। कहते हैं इस वजह से वह जब भी किसी साधु-संत या फकीर को नंगे पैर देखते तो उससे बिना पैसे लिए ही चप्पल बनाकर दे आते। उनकी इस आदत से रविदास के पिता काफी नाराज रहते।

रविदास के पिता ने एक दिन उनकी इसी आदत से परेशान होकर गुस्से में उन्हें घर से निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद रविदास ने अपनी एक छोटी से कुटिया बनाई और जूते-चप्पल बनाने और उसके मरम्मत का काम शुरू कर दिया। साधु-संतों की सेवा को लेकर हालांकि उनकी आदत ऐसे ही बनी रही। 

इस दौरान श्री गुरु रविदास समाज में उस समय जारी बुराइयों, छूआ-छूत आदि पर अपने दोहों और कविताओं के जरिए चुटीले तंज भी करते थे। रविदास के समाज के लोगों से घुलने-मिलने और उनके व्यवहार के कारण हमेशा ही उनके आसपास लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। साथ ही उनकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई।

Ravidas Jayanti: 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' की रचना 

इस कहावत के कहे जाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहते हैं कि एक बार किसी पर्व के मौके पर संत रविदास के पड़ोस के कुछ लोग गंगा स्नान के लिए जा रहे थे। रास्ते में उन्हें रविदास मिले तो उन्होंने उसे भी साथ चलने के लिए कहा। रविदास जी ने कहा कि उन्हें किसी को तय समय पर जूते बनाकर देने का वादा किया है इसलिए वे नहीं जा पाएंगे। साथ ही रविदास जी ने एक मुद्रा भी उन्हें दी और कहा कि उनकी ओर से इसे मां गंगा को अर्पित कर दिया जाए।

संत रविदास के पड़ोसी ने जब वह मुद्रा अर्पित की तो उसके हाथ में सोने का एक कंगन आ गया। यह देख पड़ोसी के मन में लालच आ गया और उसने सोचा कि इसे राजा को देकर प्रसन्न किया जाए। राजा को भी कंगन बहुत पसंद आया और उसने बदले में रविदास के पड़ोसी को ढेर सारे उपहार दिये। यह कंगन जब रानी के पास पहुंचा तो उन्होंने ऐसे ही एक और कंगन की इच्छा जाहिर की।

राजा ने तत्काल यह संदेश उस पड़ोसी को भिजवा दिया। पड़ोसी यह बात सुन चिंता में पड़ गया कि आखिर दूसरा ऐसा ही कंगन कहां से मिलेगा। उसने घबराकर सारी बात संत रविदास को बता दी और माफी मांगी। इस पर संत रविदास ने उसे चिंता नहीं करने को कहा। 

रविदास जी ने इसके बाद अपनी एक कठौती में थोड़ा पानी रखा और हाथ डालकर एक दूसरा कंगन निकाल लिया। पड़ोसी ने जब यह दृश्य देखा तो मारे खुशी के उछल पड़ा और इस चमत्कार के बारे में पूछा। इस पर श्री गुरु रविदास ने कहा- 'मन चंगा तो कठौती में गंगा।' इसके मायने ये हुए कि अगर मन साफ और निश्चल हो तो कठौती में रखा जल भी गंगा जल की तरह ही पवित्र है।

English summary :
Sant Ravidas Jayanti is on Sunday (9 February). According to the Hindu calendar, his birth anniversary is celebrated every year on the full moon of Magh month.


Web Title: Sant Ravidas Jayanti 2020 date, Magh purnima, who was sant Ravidas and his story, history

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे