आर्टिकल 370 के प्रावधान के तहत जम्मू कश्मीर को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। इसके अनुसार भारतीय संसद द्वारा पारित कोई भी प्रस्ताव, नियम या नीति में बदलाव जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता। जम्मू कश्मीर राज्य का अपना संविधान और झंडा है। देश में घोषित आपातकाल या आर्थिक आपातकाल कश्मीर में लागू नहीं होता। भारत की संसद जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग नहीं कर सकती। अनुसूचित जाति और अनिसूचित जनजाति सम्बंधी नियम जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते। Read More
Article 370: हमारा फैसला है कि राष्ट्रपति का राज्य से नहीं बल्कि केंद्र से सहमति मांगना वैध है, भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं। ...
5 सितंबर को, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिकाकर्ताओं, केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को 16 दिनों तक सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ...
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई 11 दिसंबर (सोमवार) की सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। ...
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने धारा 370 के मुद्दे पर कहा कि वह इस विषय में कानूनी हस्तक्षेप और निर्णयों की परवाह किए बिना राजनीतिक विरोध जारी रखेंगे। ...
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के शीतकालीन सत्र में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के संबंध में कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में इस बात को सुनिश्चित किया है कि भारत में केवल 'एक झंडा और एक संविधान' का प्रावधान हो। ...
पूर्व मुख्यमंत्री ने कुलगाम में संवाददाताओं से कहा, "मामूली आरोपों के तहत गिरफ्तार लेागों को वर्षों तक जमानत नहीं मिल पाती। दूसरी ओर, फर्जी मुठभेड़ मामले में किसी दीवानी अदालत द्वारा नहीं, अपितु सेना के कोर्ट-मार्शल द्वारा हत्या के दोषी ठहराए गए सेना ...
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 16 दिनों तक दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। ...