Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पूरे भारत में गणेश चतुर्थी का 10 दिवसीय त्योहार सेलिब्रेट किया जा रहा है लेकिन मुंबई में इसकी अनोखी झलक देखने को मिलती है। गणेश चतुर्थी 2025 का उत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर तक चलेगा। मुंबई में इस दौरान कई भव्य पंडाल स्थापित किए जाते हैं, जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। अगर आप भी इस साल गणेश चतुर्थी पर मुंबई में हैं, तो इन प्रसिद्ध पंडालों को ज़रूर देखना चाहेंगे:
1- लालबागचा राजा
यह मुंबई का सबसे प्रसिद्ध गणेश पंडाल है और इसे 'नवासाचा गणपति' (इच्छा पूरी करने वाले गणपति) के नाम से भी जाना जाता है। हर साल यहाँ लाखों की भीड़ उमड़ती है। 2025 में लालबागचा राजा की 92वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है और इस बार पंडाल को भगवान तिरुपति बालाजी की थीम पर सजाया गया है।
स्थान: लालबाग, परेल
पहुँचने का तरीका: सेंट्रल लाइन पर चिंचपोकली, करी रोड और बायकुला स्टेशन सबसे नज़दीक हैं।
दर्शन: यहाँ दो तरह की लाइनें होती हैं - नवसाची दर्शन (मन्नत दर्शन) और मुख दर्शन (सामान्य दर्शन)। भीड़ बहुत ज़्यादा होती है, इसलिए घंटों तक इंतज़ार करना पड़ सकता है।
2. गणेश गलीचा मुंबईचा राजा
यह पंडाल लालबागचा राजा के बहुत करीब है और अपनी भव्यता और कलात्मकता के लिए जाना जाता है। हर साल यह पंडाल भारतीय स्मारकों और मंदिरों की खूबसूरत थीम पर आधारित होता है। 2025 में यहाँ रामेश्वरम मंदिर की थीम है।
स्थान: गणेश गली, लालबाग
खासियत: यह मुंबई के सबसे पुराने और भव्य गणेश पंडालों में से एक है।
3. जीएसबी सेवा मंडल
किंग्स सर्कल में स्थापित यह पंडाल मुंबई के सबसे अमीर पंडालों में से एक है। यहाँ की गणपति प्रतिमा को 60 किलोग्राम से ज़्यादा शुद्ध सोने और कई किलोग्राम चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है।
स्थान: किंग सर्कल
खासियत: पारंपरिक दक्षिण भारतीय अनुष्ठान और भजन यहाँ का मुख्य आकर्षण हैं। यह पंडाल पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों के लिए भी जाना जाता है।
4. चिंचपोकलीचा चिंतामणी
यह पंडाल अपने भव्य 'आगमन सोहळा' (आगमन समारोह) के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की गणपति प्रतिमा अपनी राजसी मुद्रा और जटिल डिज़ाइन के लिए पहचानी जाती है।
स्थान: चिंचपोकली
खासियत: भव्य आगमन जुलूस, जो हजारों भक्तों को आकर्षित करता है।
5. अंधेरीचा राजा
उप-नगरीय क्षेत्र में यह पंडाल अपनी मनोकामना पूरी करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। यह पंडाल अपनी विसर्जन यात्रा के लिए भी खास है, जो अनंत चतुर्दशी के बाद संकष्टी चतुर्थी पर होती है, जिससे उत्सव कुछ और दिनों तक जारी रहता है।
स्थान: अंधेरी
खासियत: 'नवासाचा गणपति' के रूप में जाना जाता है और इसका विसर्जन बाकी पंडालों के बाद होता है।