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हर महिला को पता होनी चाहिये Female Condom से जुड़ी ये 6 बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 25, 2018 6:34 PM

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आपको बता दें कि कंडोम सिर्फ पुरुषों के लिए ही नहीं बल्कि महिलाओं के लिए भी उपलब्ध होते हैं। कई महिलाएं कंडोम को लेकर अक्‍सर उलझन में रहती हैं कि उन्हें कंडोम का इस्‍तेमाल करना चाहिए या नहीं? आपको बता दें कि फीमेल कंडोम से महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण और यौन संचारित रोगों (एसटीडी) से बचने में मदद मिलती है। यह एक बैग की तरह पाउच होता है, जिसे योनि के भीतर लगाया जाता है, जो एक बैरियर की तरह काम करता है। इसके दोनों सिरों पर रिंग लगे होते हैं। फीमेल कंडोम से जुड़ी कुछ जरूरी बातों को आपको जानना चाहिए।
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ऐसे लगाया जाता है फीमेल कंडोम: फीमेल कंडोम स्पर्म को कंडोम के अन्दर और योनि के बाहर रखता है। कंडोम के प्रत्येक सिरे पर एक नरम रिंग होता है (ताकि कंडोम अपनी जगह पर बना रहे), जो योनि या गुदा के अन्दर के भाग को ढक कर रखता है ताकि स्पर्म या प्री-कम बाहर ही रहे। यह जानने के लिए कि फीमेल कंडोम को किस तरह अंदर डाला जाता है।
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भारत में लॉन्च हुआ पहला फीमेल कंडोम: भारत में 7 अप्रैल, 2006 में पहला फीमेल कंडोम निर्मित किया गया था। इसे आधिकारिक तौर पर सरकार ने लॉन्च किया था। इसे 'वेलवेट' ब्रांड के जरिए बेचा जा रहा है। इस पैकेट में 3 कंडोम होते हैं, जिसकी कीमत 150 रुपए है। इसे सरकारी कंपनी एचएलएल बनाती है।
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एचआईवी का खतरा होता है 94-97 फीसदी कम: कई अध्ययनों के अनुसार मेल कंडोम एचआईवी के खतरे को 80-95 फ़ीसदी जबकि फीमेल कंडोम 94-97 फ़ीसदी तक कम करता है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर महिलाओं को इसके इस्तेमाल का सही तरीका बताया जाए, तो काफी हद तक यौन संचारित रोगों से बचा जा सकता है।
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सिर्फ दो तरह के फीमेल कंडोम को मिली है मान्यता: अमेरिका में एफडीए द्वारा केवल दो तरह के फीमेल कंडोम को मान्यता मिली हुई है। इन्हें फीमेल हेल्थ कारपोरेशन नामक कंपनी बनाती है। इसमें से एक कंडोम एफसी2 को साल 2009 में मान्यता मिली थी। ये एक सोफ्टर मटेरियल से बना होता है। हालांकि यूएस में कई कंपनी फीमेल कंडोम बनाती हैं लेकिन इन्हें अभी एफडीए से मान्यता नहीं मिली है।
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फीमेल कंडोम के हैं विभिन्न प्रकार: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न प्रकार के फीमेल कंडोम उपलब्ध हैं। उदहारण के लिए 'दी क्यूपिड' कंडोम भारत में भी उपलब्ध होता है। ये वेनिला सुगंधित महिला कंडोम सफेद और गुलाबी कलर में आता है। इसके अलावा इंडियाना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक कंडोम का विकास किया जिसे 'इलिप्टिकल' कंडोम कहते हैं, ये योनि के आकार का होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल आसान है।
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फीमेल कंडोम का नैचुरल हार्मोन पर नहीं पड़ता असर: बर्थ कंट्रोल के विपरीत, महिला कंडोम का किसी महिला के नैचुरल हार्मोन पर असर नहीं पड़ता है। इसके अलावा कंडोम का उपयोग अभी भी अतिरिक्त रोकथाम के लिए बर्थ कंट्रोल पिल्स के साथ किया जा सकता है।
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एक ही समय में दोनों पार्टनर न पहनें कंडोम: सेक्स के दौरान यह जरूरी नहीं है कि दोनों पार्टनर कंडोम पहनें। अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपको ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि दोनों पार्टनर द्वारा कंडोम पहनने से सेक्स के दौरान घर्षण के कारण कंडोम के फटने का अधिक खतरा होता है।
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