BLOOD BANK: ...ताकि जरूरतमंदों को न होने पाए खून की कमी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 6, 2024 03:10 PM2024-01-06T15:10:58+5:302024-01-06T15:11:51+5:30
BLOOD BANK: थैलेसीमिया, सिकल सेल, एनीमिया जैसे रक्त विकारों के कारण नियमित रक्त संक्रमण से गुजरते हैं या सर्जरी से गुजर रहे होते हैं. ऐसे मामलों में रिश्तेदारों या दोस्तों द्वारा रक्तदान करना हमेशा संभव नहीं होता है.
BLOOD BANK: ब्लड बैंक में खून के बदले खून देना जरूरी नहीं होने की खबर ऐसे रोगियों के लिए निश्चित रूप से भारी राहत देने वाली है जिन्हें तत्काल खून की आवश्यकता होती थी लेकिन बदले में वे अपने किसी रिश्तेदार या दोस्तों से रक्तदान करने की व्यवस्था नहीं करवा पाते थे और न ही रक्त के लिए मोटी रकम चुकाना उनके लिए संभव हो पाता था.
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार सरकार का यह फैसला रोगियों के अनुकूल है, खासकर उन लोगों के लिए जो थैलेसीमिया, सिकल सेल, एनीमिया जैसे रक्त विकारों के कारण नियमित रक्त संक्रमण से गुजरते हैं या सर्जरी से गुजर रहे होते हैं. ऐसे मामलों में रिश्तेदारों या दोस्तों द्वारा रक्तदान करना हमेशा संभव नहीं होता है.
अस्पताल और रक्त केंद्र (ब्लड बैंक) अब रक्त देने के बदले केवल प्रोसेसिंग शुल्क ले सकेंगे, जो रक्त या रक्त घटकों के लिए 250 रुपए से 1550 रुपए के बीच है. गौरतलब है कि रक्तदान न करने की स्थिति में निजी अस्पताल और ब्लड बैंक औसतन 2000 रुपए से 6000 रुपए प्रति यूनिट वसूलते रहे हैं और ब्लड की कमी या दुर्लभ ब्लड ग्रुप के मामले में तो शुल्क 10000 रुपए से भी अधिक वसूला जाता है.
सरकार का यह कहना बिल्कुल सही है कि खून बेचने के लिए नहीं होता है. रक्तदान का मतलब ही यही है और इसे महादान इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह जीवन देता है. लेकिन सरकार का जहां कर्तव्य है कि वह जरूरतमंदों को केवल प्रोसेसिंग शुल्क के बदले रक्त उपलब्ध करवाए, वहीं नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वे रक्तदान करने के लिए बढ़-चढ़कर आगे आएं.
नागरिकों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने के लिए विभिन्न संस्थाएं समय-समय पर रक्तदान शिविर का आयोजन करती हैं. लोकमत समूह इस बारे में सदैव अपनी सामाजिक भूमिका का निर्वाह करता रहा है. कोविड काल में लोकमत समूह ने ‘रक्ताचं नातं’ नाम से महाराष्ट्र में महा रक्तदान अभियान का आयोजन किया था, जिसके अंतर्गत 1095 केंद्रों में 61 हजार यूनिट से अधिक रक्त एकत्र किया गया था.
दरअसल देश में जरूरत की तुलना में रक्त की काफी कमी है, जिसे रक्तदान के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है, क्योंकि रक्त का कृत्रिम तरीके से उत्पादन नहीं किया जा सकता. हमें हर साल 1.5 करोड़ यूनिट रक्त की दरकार होती है, जबकि रक्तदान के जरिये लगभग एक करोड़ यूनिट रक्त ही मिल पा रहा है.
रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए ही पूरी दुनिया में 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. इसलिए सरकार ने जहां जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध करवाने की दिशा में कदम उठाया है, वहीं नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे बढ़-चढ़कर रक्तदान करें, ताकि जरूरतमंदों के लिए रक्त की कमी न होने पाए.