तस्वीरें: मजरूह सुल्तानपुरी के 11 बेस्ट शेर, जो बना देंगे आपको उनका मुरीद By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: October 01, 2018 12:22 PMOpen in App1 / 9मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया - मजरूह सुल्तानपुरी2 / 9बचा लिया मुझे तूफां की मौज ने वर्ना किनारे वाले सफीना* मिरा डुबो देते - मजरूह सुल्तानपुरी3 / 9रहते थे कभी जिनके दिल में, हम जान से भी प्यारों की तरह बैठे हैं उन्हीं के कूंचे में हम, आज गुनहगारों की तरह - मजरूह सुल्तानपुरी4 / 9दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें, तुमको ना हो ख्याल तो हम क्या जवाब दें - मजरूह सुल्तानपुरी5 / 9ऐसे हंस हंस के न देखा करो सब की जाननिब लोग ऐसी ही अदाओं पे फ़िदा होते हैं - मजरूह सुल्तानपुरी6 / 9बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते - मजरूह सुल्तानपुरी7 / 9कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा - मजरूह सुल्तानपुरी8 / 9पारा-ए-दिल है वतन की सरज़मीं मुश्किल ये है शहर को वीरान या इस दिल को वीराना कहें - मजरूह सुल्तानपुरी9 / 9ज़बाँ हमारी न समझा यहाँ कोई 'मजरूह' हम अजनबी की तरह अपने ही वतन में रहे - मजरूह सुल्तानपुरी और पढ़ें Subscribe to Notifications