Madan Mohan Malaviya Jayanti 2023: महात्मा गांधी ने दी थी 'महामना' की उपाधि, 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' की स्थापना के लिए 3 महीने में चंदा मांगकर जुटाए 1 करोड़ रुपये

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: December 25, 2023 08:00 AM2023-12-25T08:00:37+5:302023-12-25T08:26:08+5:30

इंपीरियल लेजिस्‍लेटिव काउंसिल द्वारा बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय बिल 22 मार्च 1915 को पास हुआ। इसके बाद 04 फरवरी 1916 को यूनिवर्सिटी की स्‍थापना हुई। उस समय भारत में इस स्‍तर की कोई यूनिवर्सिटी नहीं थी।

Madan Mohan Malaviya Jayanti Mahatma Gandhi had given the title of 'Mahamana' Founder of BHU | Madan Mohan Malaviya Jayanti 2023: महात्मा गांधी ने दी थी 'महामना' की उपाधि, 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' की स्थापना के लिए 3 महीने में चंदा मांगकर जुटाए 1 करोड़ रुपये

मालवीय जी का जन्म 25 दिसंबर 1861 को प्रयागराज में हुआ था

Highlightsस्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय की आज जयंती हैउन्हें वर्ष 2014 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया थापं. मदन मोहन मालवीय जी को महामना की उपाधि महात्मा गांधी ने दी थी

Madan Mohan Malaviya Jayanti: महान शिक्षाविद एवं समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय की आज जयंती है। पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को प्रयागराज में हुआ था। वर्ष 1909 में उन्होंने कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना में भी उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई। उन्हें वर्ष 2014 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था।

पं. मदन मोहन मालवीय जी को महामना की उपाधि महात्मा गांधी ने दी थी। वह भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति थे, जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से सम्मानित किया गया। मदन मोहन जी के पूर्वज मध्यप्रदेश के मालवा प्रदेश से आते थे इसलिए उन्हें मालवीय भी कहा जाता था। बाद में यही मालवीय उनका सरनेम भी बन गया। 

1915 में  बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना करने वाले मदन मोहन मालवीय जी स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक के अलावा पत्रकार, वकील व शिक्षाविद भी थे। वर्ष 1930 में जब महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया, तो उन्होंने इसमें सक्रिय रूप से हिस्सा लिया और गिरफ्तार भी हुए। मालवीय जी  वर्ष 1909, वर्ष 1918, वर्ष 1932 और वर्ष 1933 में कुल चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। 

मालवीय भाषा के प्रति बहुत जागरूक व्यक्ति थे। उनके प्रयासों से ही  18 अप्रैल, 1900 में एक आदेश पारित किया गया जिसके अनुसार उत्तरी राज्यों की कचहरियों में  देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी के इस्तेमाल की भी अनुमति मिली।

मालवीय जी की उनकी सोच पर हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रभाव था। वे तीन बार हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गये। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 1915 ई. में 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' की स्थापना है। विश्वविद्यालय स्थापना के लिए उन्होंने सारे देश का दौरा करके देशी राजाओं तथा जनता से चंदा की भारी राशि एकत्रित की। 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' के लिए मालवीय जी ने जैसे प्रयास किए उसके किस्से आज भी सुनाए जाते हैं। विश्वविद्यालय के लिए मालवीय जी ने 1 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था और इसे केवल 3 महीने में पूरा करके दिखा दिया। 

इसके अलावा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर जमीन की जरूरत थी। मालवीय जी ने इसके लिए काशी नरेश से मदद मांगी। कहा जाता है कि काशी नरेश ने इस शर्त के साथ उन्‍हें जमीन देने का वादा किया, कि वह सूर्यास्‍त तक जितनी जमीन पैदल चलकर नाप लेंगे, उतनी जमीन उन्‍हें दे दी जाएगी। 

इंपीरियल लेजिस्‍लेटिव काउंसिल द्वारा बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय बिल 22 मार्च 1915 को पास हुआ। इसके बाद 04 फरवरी 1916 को यूनिवर्सिटी की स्‍थापना हुई। उस समय भारत में इस स्‍तर की कोई यूनिवर्सिटी नहीं थी। महामना ने अमृतसर से दरभंगा और जोधपुर तक घूमकर यूनिवर्सिटी के लिए चंदा इकट्ठा किया। पंडित मालवीय 2 दशकों तक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रहे।

मालवीयजी एक प्रख्यात वकील भी थे। एक वकील के रूप में उनकी सबसे बड़ी सफलता चौरीचौरा कांड के अभियुक्तों को फांसी से बचा लेने की थी। चौरी-चौरा कांड में 170 भारतीयों को सजा-ए-मौत देने का ऐलान किया गया था, लेकिन महामना ने अपनी योग्यता और तर्क के बल पर 151 लोगों को फांसी के फंदे से छुड़ा लिया था। 

Web Title: Madan Mohan Malaviya Jayanti Mahatma Gandhi had given the title of 'Mahamana' Founder of BHU

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