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कौन हैं असीम घोष?, हरियाणा का नया राज्यपाल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 14, 2025 20:52 IST

उत्तरी कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर घोष को पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के उथल-पुथल भरे वर्षों के दौरान लंबे समय तक एक ऐसी पार्टी में बुद्धिजीवी के रूप में देखा जाता था।

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ठळक मुद्देमैं अभी क्या कह सकता हूं? मैं शाम में मीडिया से बात करूंगा।वक्तृत्व, अनुशासन और वैचारिक स्पष्टता को महत्व दिया जाता था।दो साल के भीतर ही उपाध्यक्ष बना दिया गया।

कोलकाताः करीब दो दशक तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद पश्चिम बंगाल भाजपा के दिग्गज नेता असीम घोष को हरियाणा का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वह राज्य में भाजपा के प्रारंभिक वर्षों में एक प्रभावशाली व्यक्ति थे। विद्वान और कुशाग्र राजनीतिक बुद्धि वाले मृदुभाषी घोष ने आश्चर्यजनक वापसी की है। राष्ट्रपति भवन द्वारा सोमवार को उनके नाम की घोषणा ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया जिनमें उनकी अपनी पार्टी के लोग भी हैं। घोष (81) ने कहा, "मुझे इस बारे में पता चला है। मैं अभी क्या कह सकता हूं? मैं शाम में मीडिया से बात करूंगा।"

उत्तरी कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर घोष को पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के उथल-पुथल भरे वर्षों के दौरान लंबे समय तक एक ऐसी पार्टी में बुद्धिजीवी के रूप में देखा जाता था, जहां वक्तृत्व, अनुशासन और वैचारिक स्पष्टता को महत्व दिया जाता था। यद्यपि उनका सक्रिय राजनीतिक जीवन लगभग दो दशक पहले समाप्त हो गया,

लेकिन घोष पार्टी के भीतर एक सम्मानित व्यक्ति बने रहे। राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति को उनकी लंबी राजनीतिक यात्रा की स्वीकृति तथा भाजपा नेताओं की पुरानी पीढ़ी के प्रति सम्मान के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने ऐसे राज्य में पार्टी की नींव रखी, जहां पार्टी लंबे समय तक हाशिये पर रही।

घोष की राजनीतिक जड़ें 1990 के दशक के शुरुआती वर्षों की हैं जब भाजपा राज्य के अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही थी। वह 1991 में वरिष्ठ नेता प्रभाकर तिवारी के मार्गदर्शन में पार्टी में शामिल हुए और उसी वर्ष काशीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा।

वह चुनाव जीत तो नहीं पाए, लेकिन संगठन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता तथा वैचारिक और नीतिगत मुद्दों पर उनकी पकड़ ने उन्हें एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बना दिया। अपनी वाक्पटुता और शैक्षणिक पृष्ठभूमि के कारण वह संगठनात्मक स्तर पर तेजी से आगे बढ़े। 1996 तक वह पार्टी के राज्य सचिव थे और दो साल के भीतर ही उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया गया।

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