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Purnia seat 2024: किस पर 'कैंची' चलाएंगे पप्पू यादव, एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार डरे, बीमा भारती और संतोष कुमार कुशवाहा के सामने कई चुनौती

By एस पी सिन्हा | Published: April 09, 2024 2:52 PM

Purnia seat 2024: राजद प्रत्याशी बीमा भारती ने भी अजीत सरकार को गरीबों का नेता बताते हुए पप्पू यादव पर हत्या करने का आरोप लगाया है।  

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ठळक मुद्दे जनता दोबारा पूर्णिया को जंगल राज नहीं बनना चाहेगी।बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि जनता सब कुछ जानती है।पूर्णिया को जंगल राज किसने बनाया जनता को सब पता है।

Purnia seat 2024: लोकसभा चुनाव में पूर्णिया पूरे देश में हॉट सीट बना हुआ है। एक तरफ निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव अपनी जीत का दावा कर रहे हैं और जनता के समर्थन प्राप्त होने की बात कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ राजद प्रत्याशी बीमा भारती और एनडीए प्रत्याशी संतोष कुमार कुशवाहा ने अजीत सरकार की हत्या का मामला एक बार फिर से उछाल दिया है। वहीं बहुचर्चित अजीत सरकार हत्याकांड के मामले उठने से सियासत और गर्मा गई है। इसी कड़ी में आज पूर्णिया के एनडीए प्रत्याशी संतोष कुमार कुशवाहा ने कामरेड अजीत सरकार के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए बताया कि जो अजीत सरकार की हत्या करवाया है जो लगातार व्यापारियों से लेवी वसूलने का काम कर रहा है जनता उसे पहचानती है। जनता दोबारा पूर्णिया को जंगल राज नहीं बनना चाहेगी।

वहीं राजद प्रत्याशी बीमा भारती ने भी अजीत सरकार को गरीबों का नेता बताते हुए पप्पू यादव पर हत्या करने का आरोप लगाया है। बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि जनता सब कुछ जानती है जो पूर्णिया में उम्मीदवार बनाकर जीत का दावा कर रहे हैं, जनता उनकी हकीकत जानती है। एक गरीबों के नेता अजीत सरकार की हत्या किसने कराई पूर्णिया को जंगल राज किसने बनाया जनता को सब पता है।

90 के दशक में सीमांचल के इलाकों में पप्पू यादव के नाम का आतंक था

लेसी सिंह राजद उम्मीदवार बीमा भारती की भी प्रबल विरोधी रही हैं। पप्पू यादव 1990 में मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से निर्दलीय विधायक बने थे। उसके बाद तीन बार पूर्णिया से सांसद भी रह चुके हैं। पहली बार 1991 में पूर्णिया से निर्दलीय जीतकर लोकसभा पहुंचे फिर 1996 में सपा की टिकट पर संसद पहुंच चुके हैं। 90 के दशक में सीमांचल के इलाकों में पप्पू यादव के नाम का आतंक था।

वह 17 साल तक जेल में रहे हैं। उनके ऊपर  हत्या,अपहरण, मारपीट, बूथ कैपचरिंग, आर्म्स एक्ट जैसे कई मामले दर्ज हैं। उनके ऊपर माकपा नेता और विधायक अजीत सरकार और उनके एक साथी असफुल्ला खान तथा ड्राइवर की गोलीमार कर  हत्या करने के आरोप भी लगे थे। 2008 में उनके ऊपर ये आरोप साबित भी हो गए थे और कोर्ट ने उन्हें सजा भी सुनाई थी।

पत्नी रंजीता रंजन ही खिलाफ चुनाव प्रचार करती नजर आएंगी

बाद में उन्होंने पटना हाई कोर्ट में अपील की थी। इसके बाद उन्हें राहत मिली थी। सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था। अब एक बार फिर पप्पू यादव उसी पूर्णिया के धरती पर अपनी धमक जमाने के लिए मैदान में  हैं। दुर्भाग्य से उनकी पत्नी रंजीता रंजन ही उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करती नजर आएंगी।

इसका कारण यह है कि कांग्रेस सांसद होने के कारण महागठबंधन उम्मीदवार बीमा भारती की चुनाव प्रचार करना उनके लिए मजबूरी हो गई है। इधर, चुनाव आयोग के द्वारा पप्पू यादव को कैंची चुनाव चिह्न अलॉट किए जाने के बाद वह महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार का कलम काटते नजर आने लगे हैं।

पप्पू यादव का कोई विकल्प नहीं

आज पूर्व मुख्यमंत्री स्व भोला पासवान शास्त्री की बहू सुशीला भारती पप्पू यादव के समर्थन में आ गई हैं। वहीं, कई लोग पप्पू यादव के समर्थन उतरते हुए कहा कि पूर्णिया में अब लड़ाई दलगत राजनीति से उपर उठकर महा गठबंधन की विचार धारा को मजबूत करने की है, जिसमें यहां पप्पू यादव का कोई विकल्प नहीं है।

उधर, पप्पू यादव लगातार इलाके में जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए हैं। इस दौरान पप्पू यादव ने कहा कि मेरा मकसद पूर्णिया की जनता के लिए पूर्णिया को बदहाली से निकलना है और इसके लिए मैं एक बेटे की तरह पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र की जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए तैयार हूं।

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के 10000 परिवारों को रोजगार से जोड़ने की है

मेरी प्राथमिकता अगले 5 वर्ष में पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के 10000 परिवारों को रोजगार से जोड़ने की है। इसके अलावा भ्रष्टाचार मुक्त कार्यालय और सब की सुरक्षा, सबको न्याय और सब की सेवा के मंत्र को लागू करना है। बता दें कि पूर्णिया में जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां के 60 फीसदी मतदाता हिन्दू, जबकि 40 प्रतिशत मतदाता अल्पसंख्यक हैं।

इनमें तकरीबन 5 लाख एससी-एसटी, बीसी व ओबीसी मतदाता हैं। इसके अलावा यादव डेढ़ लाख, ब्राह्मण सवा लाख व राजपूत मतदाताओं की भी तकरीबन सवा लाख है। इनके अलावा एक लाख अन्य जातियों के मतदाता हैं। वहीं, अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या लगभग 7 लाख है। इलाके में पप्पू यादव लंबे समय से सक्रिय हैं और उनका वोट बैंक भी काफी मजबूत माना जाता है। देखना होगा कि पप्पू यादव किसको कलम करते हैं।

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