भुवनेश्वर: देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है और ऐसे में देश की स्वास्थ्य व्यवस्था भी भारी दबाव में है। कोरोना की दूसरी लहर में देश में मरने वालों का भी आकड़ा बढ़ा है। वहीं कुछ हैरान कर देने वाले ऐसे भी मामले सामने आए, जब कोरोना संक्रमण के चलते मौत होने पर परिवार के सदस्यों ने भी शवों का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया।
इस मुश्किल दौर में मधुस्मिता प्रुस्टी ने दुनिया के सामने इंसानियत की मिसाल पेश की है। मधुस्मिता प्रुस्टी ने कोरोना काल में भुवनेश्वर में कोविड संक्रमित और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में अपनी पति की मदद करने के लिए नर्स की नौकरी भी छोड़ दी। वह कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल में नर्स की जॉब करती थी लेकिन कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी का भी त्याग कर दिया।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मधुस्मिता ने कहा, 'मैंने 9 साल तक नर्स बन कर मरीजों का ख्याल रखा । साल 2019 में लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में अपने पति की सहायता करने के लिए, यहां लौट आई थी।'
उन्होंने कहा, 'मैंने ढाई साल में करीब 500 शवों का अंतिम संस्कार किया और कोरोना के दौरान भुवनेश्वर में 300 कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया । एक महिला के तौर पर इस काम को करने के लिए मुझे आलोचना का भी सामना करना पड़ता है लेकिन मैंने अपने पति द्वारा संचालित ट्रस्ट के तहत अपना काम जारी रखा ।'