नयी दिल्ली, 17 दिसंबर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि गंभीर और सार्थक पत्रकारिता करने के लिए स्वतंत्रता एक आवश्यक शर्त है।
‘केरलीयम-वी के माधवन कुट्टी पुरस्कार-2020’ प्रदान करने के बाद एक समारोह को संबोधित करते हुए, नायडू ने मीडिया से दलितों और वंचितों के अधिकारों की सुरक्षा और अवैध तथा भ्रष्ट प्रथाओं को उजागर करने में और अधिक सक्रिय रूप से शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार, इसे बिना किसी डर या पक्षपात के काम करना चाहिए।’’
उन्होंने इस बात पर गौर करते हुए कि पत्रकारिता नागरिकों की तीसरी आंख बन जाती है कहा कि इसे सबूतों, तथ्यों और व्यावहारिक शोध के साथ सरकार के कार्यों की रचनात्मक आलोचना करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘जब खोजी पत्रकारिता पूर्वाग्रह और पक्षपात से मुक्त हो, तभी मीडिया चौथे स्तंभ के रूप में अपनी प्रतिष्ठा पर खरा उतर सकता है।’’
नायडू ने मीडिया से संसद में केवल हंगामे और व्यवधान को उजागर करके सनसनी फैलाने से बचने का आग्रह करते हुए कहा कि मीडिया को उन सांसदों के अच्छे प्रदर्शन को प्रमुखता देनी चाहिए, जो नियमित रूप से सदन में उपस्थित होते हैं और सरकार को रचनात्मक सुझाव देकर बहस में भाग लेते हैं।
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