नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने धन शोधन के मामले में दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और दो अन्य की जमानत याचिका गुरुवार खारिज कर दी। आप नेता की जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं, सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। जैन पर चार कंपनियों के जरिए धन शोधन करने का आरोप है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के जमानत याचिका खारिज करने के फैसले में कोई भी अवैधता या कोई खामी नहीं है।जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने सत्येंद्र जैन, अंकुश जैन और वैभव जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि सत्येंद्र जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की क्षमता रखता है।
निचली अदालत के पिछले साल 17 नवंबर को सुनाए गए आदेश को तीनों आरोपियों ने चुनौती दी थी। इसी पीठ ने 21 मार्च को बचाव पक्ष और अभियोजन पक्षों द्वारा कई सुनवाई के बाद किए गए प्रस्तुतीकरण के निष्कर्ष के बाद आदेश को सुरक्षित रखा था। दलीलों के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए। उन्होंने कहा कि जैन और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग स्पष्ट है।
जैन ने अपनी जमानत याचिका में कहा, "मैं 7 मौकों पर ईडी के सामने पेश हुआ। मैंने सहयोग किया और जांच में भाग लिया। मुझे 2022 में 5 साल बाद गिरफ्तार किया गया था।" गौरतलब है कि ट्रायल कोर्ट ने 17 नवंबर 2022 को सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जैन को 30 मई, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह इस मामले में न्यायिक हिरासत में है।