बेंगलुरु: कोविड-19 के उन्मूलन को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रहे देशव्यापी टीकाकरण को लेकर उस समय एक बड़ी खामी उजागर हुई, जब बेंगलुरु में एक मृत शख्स के परिवार को मौत के आठ महीने के बाद सफल टीकाकरण की जानकारी और एसएमएस देकर परेशान किया जाता है।
बताया जा रहा है कि टीकाकरण में यह बड़ी चूक बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की ओर से हुई है। इस मामले में जानकारी देते हुए मृतक राघवेंद्र राव के भाई वीएस सुरेश ने बताया, "यह हम लोगों के लिए कितना दुखद है कि जब बीबीएमपी के डेटा एंट्री ऑपरेटर ने 23 जनवरी को मुझे फोन करके मृत भाई के टीकाकरण के लिए बताया। उस समय मैंने उन्हें जानकारी दी कि उनकी मृत्यु हो चुकी है। लेकिन उसके बावजूद बीबीएमपी की ओर से फोन करके बताया गया कि मृत भाई का टीकाकरण सफलतापूर्वक कर दिया गया है। समझ नहीं आयात कि जो जीवित नहीं है, वे भला उसका टीकाकरण कैसे कर सकते हैं?"
सुरेश ने बताया कि 55 साल के राघवेंद्र राव की पोस्ट कोविड जटिलताओं के कारण पिछले साल 25 मई को निधन हो गया था। सुरेश ने कहा कि हमारे लाख कहने के बाद भी बीबीएमपी के कर्मचारी हमें लगातार फोन करते रहे। जबकि परिवार के लोग बार-बार आने वाली इस फोन कॉल से और दुखी हो रहे थे।
सुरेश ने बताया कि मोबाईल पर एमएसएस मिलने के कुछ ही घंटों बाद बीबीएमपी के एक अधिकारी फोन करकते बताया कि मेरे मृत भाई का टीकाकरण सफलतापूर्वक हो गया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इसका सर्टिफिकेट या तो हम ऑनलाइन ले सकते हैं या फिर व्यक्तिगत तौर पर भी पीएचसी जा कर लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे कई बार कहने के बावजूद उन्होंने न कोई क्रॉस-चेक किया न अपने यहां हमारी सूचना को अपडेट किया। उनका रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना था।
इसके बाद सुरेश ने मृत भाई के टीकाकरण की ऑनलाइन जांच की तो देखा कि रावेंद्र को थलाघट्टापुरा उप-केंद्र में टीका लगाया गया दर्शाया गया था। इसके अलावा जानकारी में आधार संख्या और टीका लगाने वाले का नाम भी सर्टिफिकेट में लिखा था।
सुरेश ने कहा कि जब मेरे भाई की मृत्यु हुई तब मैंने मृत्यु प्रमाण पत्र पाने के लिए फॉर्म में उसका आधार नंबर भी लिखा था। जब मैंने बीबएमपी से पूछा कि जब आधार हर चीज से जुड़ा होता है तो वह आखिरकार कैसे किसी मृत व्यक्ति के आधार का इस तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसका उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया।
इस मामले में बीबीएमपी के अधिकारियों का कहना है कि हम पोर्टल पर कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से केंद्र सरकार के नियंत्रण में है, लेकिन हम इस मामले की जांच कर रहे हैं।