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गैंगरेप के आरोपी बीजेपी विधायक FIR के बाद भी 'आजाद', AAP विधायक थप्पड़ मारने पर हुए गिरफ्तार

By आदित्य द्विवेदी | Updated: April 12, 2018 12:11 IST

दिल्ली से उन्नाव की दूरी महज 500 किलोमीटर है। लेकिन पुलिस के रवैये में ऐसा फर्क मानों दो अलग-अलग देशों की घटना हो।

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उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की रोती-बिलखती आवाजें उत्तर प्रदेश पुलिस के कानों तक नहीं पहुंच रही हैं या शायद पुलिस सुनना नहीं चाहती है। तभी तो जिस युवती से जून 2017 में बलात्कार हुआ उसका आरोपी आज भी खुलेआम घूम रहा है। पीड़िता ने थाने से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक से गुहार लगाई लेकिन हर दिन उसका कुछ ना कुछ खोता रहा। उसे बेइज्जती, पिता की मौत का गम और दर-दर की ठोकरें तो मिली लेकिन नहीं मिली तो उसके साथ बलात्कार करने वाले की गिरफ्तारी।

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उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बलात्कार के आरोपी को 'माननीय विधायक जी' कहकर संबोधित करते हैं। जब एक पत्रकार ने रेप के आरोपी को माननीय कहने पर सवाल उठाए तो डीजीपी का जवाब था कि अभी उन पर रेप का आरोप साबित नहीं हुआ है। एक विधायक को सम्मान देने में कोई बुराई नहीं है। यूपी पुलिस के मुखिया का ऐसा बयान कितना जायज है इसे समझने के लिए डेढ़ महीने पहले दिल्ली की घटना का रुख करना चाहिए। जहां विधायक पर एक थप्पड़ मारने का आरोप था लेकिन 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी हो गई।

यह भी पढ़ेंः- उन्नाव रेप केस: एसआईटी की पहली रिपोर्ट तैयार, पीड़िता के पिता के मौत को लेकर हुए चौंकाने वाले खुलासे

19 फरवरी की रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ बैठक चल रही थी। गहमागहमी के बाद अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया कि उन्हें आम आदमी पार्टी के विधायकों ने थप्पड़ मारे। इस मामले में दिल्ली पुलिस की तत्परता देखने लायक थी। अगले ही दिन विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

यह भी पढ़ेंः- यूपी SIT की रिपोर्ट के बाद एसएसपी ऑफिस पहुंचे बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर, सरेंडर किए बगैर लौटे

थप्पड़ के आरोपी विधायकों की गिरफ्तारी 24 घंटे के अंदर हो सकती है तो बलात्कार के आरोपी विधायक अभी भी माननीय कैसे? वो विधायक जिस पर धारा 363, 366, 376 और 506 के अलावा पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। आत्मदाह का प्रयास, पिता की मौत और जमाने भर की जहालत झेलने के बाद भी विधायक की गिरफ्तारी का इंतेजार है। 9 महीने बीत चुके हैं। पुलिस ने मामला सीबीआई के पाले में डाल दिया है। अब फैसला सीबीआई को करना है।

दिल्ली से उन्नाव की दूरी महज 500 किलोमीटर है। लेकिन पुलिस के रवैये में ऐसा फर्क मानों दो अलग-अलग देशों की घटना हो। इस मुद्दे पर क्या है आपकी राय? कमेंट और ई-मेल के जरिए हमें बताइए।

टॅग्स :कुलदीप सिंह सेंगरउत्तर प्रदेशआम आदमी पार्टीAam Aadmi Party (AAP)
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