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किसान-सरकार वार्ताः नौवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा, इंतजार 26 जनवरी का....

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: January 15, 2021 20:52 IST

सरकार ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से तीन कृषि कानून के बारे में अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने एवं ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिये एक अनौपचारिक समूह गठित करने को कहा जिस पर 19 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा हो सकेगी.

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ठळक मुद्देप्रदर्शनकारी किसान तीन नये विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे.कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार का रुख लचीला है.करीब पांच घंटे तक चली बैठक में तीनों केंद्रीय मंत्री किसी निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंच सके.

नए कृषि क़ानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच शुक्रवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई नौवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, क्योंकि ऐसी किसी भी वार्ता का नतीजा तभी निकलेगा जब या तो किसान थकेंगे या सरकार झुकेगी.

इधर, किसान स्पष्ट कर चुके हैं कि जब तक सरकार कानून रद्द नहीं करेगी तब तक आंदोलन चलता रहेगा जबकि उधर, सरकार का भी साफ कहना है कि किसी भी हालत में कानून वापस नहीं होंगे. फिर वार्ता क्यों हो रही है? इसका जवाब बेहद दिलचस्प है, किसानों का कहना है कि हम वार्ता में इसलिए जा रहे हैं कि कल को सरकार यह नहीं कहे कि किसान वार्ता ही नहीं करना चाहते हैं, तो सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हम किसानों को पूरा महत्व दे रहे हैं. जबकि, हकीक़त यह है कि दोनों पक्ष अपने-अपने समय का इंतजार कर रहे हैं.

सरकार इस समय में अलग-अलग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीकों से किसान आंदोलन तोड़ने के लिए किसानों को थकाना चाहती है, तो किसानों को भरोसा है कि 26 जनवरी आते-आते सरकार के तेवर ठंडे पड़ने लगेंगे. अब किसानों की समस्या का समाधान तलाशने के लिए 19 जनवरी 2021 को 10वें दौर की बैठक होगी, परन्तु इसका भी कोई नतीजा निकलेगा, ऐसा लगता नहीं है, क्योंकि की बैठक के दौरान भी किसान नेता इन तीनों क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर ही अड़े रहे.

याद रहे, नौवें दौर की वार्ता से पहले ही किसान नेताओं का कहना था कि उम्मीद नहीं है कि इस बातचीत से कोई समाधान निकलेगा. किसानों और सरकार के बीच नौवें दौर की बातचीत के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि आज की बैठक भी बेनतीजा रही है. 19 जनवरी को फिर से बैठक होगी.

उनका यह भी कहना है कि हम सिर्फ सरकार से ही बात करेंगे. सरकार जितनी बार बुलाएगी हम आएंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने नहीं जाएंगे. हमारी बस दो ही मांगें हैं- पहली ये कि तीनों कानून वापस हों और दूसरी ये कि एमएसपी पर कानून बने! 

टॅग्स :किसान आंदोलनपंजाबपीयूष गोयलनरेन्द्र सिंह तोमर
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