वित्त मंत्नी अरुण जेटली ने भी विगत 9 मई को एक पुस्तक-विमोचन समारोह में कहा कि अदालत को डराने का कुचक्र चल रहा है. अगर देश की सबसे बड़ी पंचायत भी यही बात कहे और देश का शासक वर्ग भी, तो फिर इलाज क्या है? ...
आज से ठीक 100 साल पहले दुनिया के जाने-माने भारतविद और आईसीएस विन्सेंट स्मिथ को शायद यह हकीकत सबसे अधिक मालूम थी. शायद उनको यह भी अहसास था कि प्रजातंत्न में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट चुनाव पद्धति और आधुनिक शिक्षा जातिवाद को चरम स्तर तक सौदेबाजी करने से नही ...
कांग्रेस घोषणापत्र की ‘न्याय’ (न्यूनतम आय) योजना भले हीं फिलवक्त एक वादा हो, पर यह प्रभावित कर रहा है सभी गरीबों को, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, समुदाय या पेशे के हों. नतीजतन भाजपा को अपनी रणनीति पुराने ढर्रे पर लानी मजबूरी हो गई. यही वजह थी कि भाजप ...
कांग्रेस के घोषणापत्र में देश के 20 प्रतिशत गरीबों को 72000 रु पए देने का लुभावना वादा है. भाजपा का घोषणापत्र आने के मात्र चंद दिन पहले राहुल गांधी ने यह घोषणा कर दी. अब भाजपा के लिए इसी पर आगे बढ़ कर कुछ भी कहना सिर्फ नकल माना जाएगा. ...
सैद्धांतिक मान्यता है कि देश की राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी होती है कि मतदाताओं की सही समझ और तार्किक सोच विकसित करें. लेकिन पिछले 70 साल में हुआ ठीक उलटा. ...
देश की राजनीति में एक नई परंपरा उभर रही है जो प्रजातंत्न पर जनता के विश्वास को ठेस पहुंचा सकती है. अधिकारी ‘भक्तिभाव’ में आ गए हैं. इसका कारण समझना मुश्किल नहीं है. यह भक्ति उन्हें अचानक राज्यसभा या लोकसभा, और कई मामलों में मंत्नी पद या राज्यपाल पद त ...
वर्तमान चुनाव एक कसौटी होने जा रहा है सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की समझ, सदाशयता और परिपक्वता का और साथ ही समाज की तर्कशक्ति के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग का. जनता की भावनात्मक अतिरेक से बचने की कोशिश और तार्किक सोच इस प्रयास में बेहद सार्थक भूमि ...