एन. के. सिंह का ब्लॉग: कांग्रेस को घोषणा पत्र से कितनी मिलेगी मदद?

By एनके सिंह | Published: April 5, 2019 07:36 AM2019-04-05T07:36:13+5:302019-04-05T07:36:13+5:30

कांग्रेस के घोषणापत्र में देश के 20 प्रतिशत गरीबों को 72000 रु पए देने का लुभावना वादा है. भाजपा का घोषणापत्र आने के मात्र चंद दिन पहले राहुल गांधी ने यह घोषणा कर दी. अब भाजपा के लिए इसी पर आगे बढ़ कर कुछ भी कहना सिर्फ नकल माना जाएगा.   

Lok Sabha Elections 2019: how much help full of Congress Manifesto 2019 | एन. के. सिंह का ब्लॉग: कांग्रेस को घोषणा पत्र से कितनी मिलेगी मदद?

एन. के. सिंह का ब्लॉग: कांग्रेस को घोषणा पत्र से कितनी मिलेगी मदद?

चुनावी मौसम में राजनीतिक पार्टियों का घोषणापत्र आमतौर पर मतदाताओं के बीच मात्र एक औपचारिकता के रूप में लिया जाता रहा है. लेकिन वर्तमान आम चुनाव जिस तरह देश की दो बड़ी पार्टियों के बीच ‘एक-दूसरे को खत्म करने तक जंग’ के भाव में लिया जा रहा है और ‘कोई भी पकड़/दांव बाधित नहीं’ के फॉर्मेट में कुश्ती चल रही है, ऐसे में घोषणापत्र का महत्व बढ़ गया है. कांग्रेस का हाल में जारी घोषणापत्र और इसमें किए गए वादे इस 133 साल पुरानी पार्टी के प्रति लोगों के रुझान को काफी बदल सकते हैं. लगभग 55 पेज के इस दस्तावेज को गहराई से पढ़ने के बाद साफ लगता है कि इस पार्टी के रणनीतिकारों की राजनीतिक-सामाजिक समझ अपनी विपक्षी पार्टी की रणनीति से बेहतर है और वे प्रतिद्वंद्वी के मर्मस्थल पर आघात कर रहे हैं. 

कांग्रेस के घोषणापत्र में देश के 20 प्रतिशत गरीबों को 72000 रु पए देने का लुभावना वादा है. भाजपा का घोषणापत्र आने के मात्र चंद दिन पहले राहुल गांधी ने यह घोषणा कर दी. अब भाजपा के लिए इसी पर आगे बढ़ कर कुछ भी कहना सिर्फ नकल माना जाएगा.              

यह माना जाता है कि कांग्रेस के पास भाजपा के मुकाबले प्रतिबद्ध कैडर का अभाव है. एक गहरी नीति के तहत इस चुनाव में इस कमी को भी पूरा करने की अद्भुत कोशिश की गई है, यह वादा करके कि देश के स्थानीय निकायों में दस लाख युवाओं को ‘सेवा मित्र’ के रूप में नौकरी दी जाएगी. आज भारत में 2.67 स्थानीय निकाय हैं जिनमें 2.60 लाख के करीब ग्राम-पंचायत के रूप में हैं. इस घोषणा के बाद हर पंचायत के रोजगार चाहने वाले युवा कांग्रेस के चलते-फिरते प्रवक्ता होंगे, इस आशा से कि उनकी ग्राम पंचायत में उन्हें मौका मिल सकता है. उधर सरपंच को भी लगेगा कि अपने गांव के कम से कम चार युवाओं को रोजगार दे सकता है. यह सशक्तिकरण का अहसास उसे भी  प्रचार के लिए तत्पर करेगा. 22 लाख सरकारी पद भरना भी कांग्रेस की उसी रणनीति का हिस्सा है. 

यह हकीकत है कि जिंदगी की जद्दोजहद में लगी महिला को इस बात से कोई खास असर नहीं पड़ता कि संसद या विधायिकाओं में कितना आरक्षण कौन राजनीतिक दल देगा. उसी तरह इस बात का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि शिक्षा के मद में सकल घरेलू उत्पाद का कितना प्रतिशत खर्च कौन पार्टी करती है या करने का वादा करती है. लिहाजा कांग्रेस के ऐसे वादे महज घोषणापत्र  को मोटा करने के लिए हैं, परंतु यह परंपरा रही है कि पार्टियां विदेश नीति, मौद्रिक नीति और विज्ञान आदि की बातों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाती रही हैं.

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: how much help full of Congress Manifesto 2019