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मुक्त, खुले, सुरक्षित एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर प्रतिबद्ध हैं: क्वाड नेता

By भाषा | Updated: March 14, 2021 16:25 IST

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वाशिंगटन, 14 मार्च चार देशों की सदस्यता वाले ‘क्वाड’ समूह के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए इस बात पर पुन: जोर दिया कि वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह क्षेत्र सभी के लिए सुगम हो और नौवहन की स्वतंत्रता एवं विवादों के शांतिपूर्ण समाधान जैसे मूल सिद्धांतों एवं अंतराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इसका संचालन हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्राी योशिहिदे सुगा ने शुक्रवार को हुए चतुष्पक्षीय गठबंधन (क्वाड) के पहले शिखर सम्मेलन के बाद ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ में छपे एक लेख में इस बात पर जोर दिया कि सभी देश किसी बलप्रयोग के बिना राजनीतिक चयन करने में सक्षम होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों ने पिछले कुछ साल में निकटता से काम किया है और शुक्रवार को ‘क्वाड’ के इतिहास में पहली बार उन्होंने उच्चतम स्तर पर अर्थपूर्ण सहयोग को आगे ले जाने के लिए नेताओं की बैठक की।

नेताओं ने कहा, ‘‘हमने खुले एवं मुक्त क्षेत्र की अपनी कोशिशों को तेज करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों के कारण पैदा हुईं चुनौतियों से निपटने की खातिर सहयोग करने और भविष्य के नवोन्मेषों को संचालित करने वाले मानक तय करने के लिए गठजोड़ करने पर सहमति जताई।’’

क्वाड नेताओं ने शुक्रवार को हुए सम्मेलन में ‘‘मुक्त, खुले एवं समावेशी’’ क्षेत्र बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई, जिसमें बल प्रयोग से कोई प्रतिबंध न लगाया गया हो।

चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर के कई हिस्सों पर अपना दावा करता है। पूर्वी चीन सागर में दावे को लेकर चीन और जापान के बीच विवाद है।

नेताओं ने लेख में कहा कि ‘क्वाड’ नामक सहयोग का जन्म संकट में हुआ है। यह 2007 में राजनयिक वार्ता बना और 2017 में इसका पुनर्जन्म हुआ।

उन्होंने लिखा, ‘‘दिसंबर 2004 में इंडोनेशिया के तट के पास महाद्वीपीय जलसीमा दो मीटर खिसक गई, जिसके कारण आधुनिक इतिहास में सबसे बड़ा तूफान आया और हिंद महासागर में अप्रत्याशित मानवीय संकट पैदा हो गया। लाखों लोग विस्थापित हुए और सैंकड़ों लोग मारे गए, हिंद प्रशांत क्षेत्र को मदद की तत्काल आवश्यकता थी। हम चारों देशों ने मिलकर मदद की।’’

नेताओं ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका ऐसे लोकतांत्रिक देशों का समूह हैं, जो जरूरत पड़ने पर आपदा में राहत और त्वरित मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए व्यावहारिक सहयोग के जरिए परिणाम देने को लेकर समर्पित हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अब हिंद-प्रशांत में अवसर और एक दूसरे से संपर्क के नए दौर में हम जरूरतमंद क्षेत्र के समर्थन में फिर से एकजुट हुए हैं।’’

नेताओं ने कहा कि वे मुक्त, खुले एवं समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझे दृष्टिकोण को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हिंद-प्रशांत सभी के लिए सुगम हो, इसका संचालन नौवहन की स्वतंत्रता एवं विवादों के शांतिपूर्ण समाधान जैसे मूल सिद्धांतों एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर हो तथा सभी देश बिना किसी बलप्रयोग के अपने राजनीतिक चयन करने में सक्षम हों।’’

नेताओं ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत विश्व भर में जलवायु परिवर्तन एक रणनीतिक प्राथमिकता और तत्काल सामने खड़ी चुनौती है, इसलिए हम पेरिस समझौते को मजबूत करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी देशों की कोशिशों को तेज करने के लिए एक-दूसरे के साथ और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेंगे।’’

उन्होंने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई को लेकर प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि यह हाल के इतिहास में स्वास्थ्य एवं आर्थिक स्थिरता को सबसे बड़ा खतरा है और क्वाड देशों को इससे निपटने के लिए मिलकर काम करना होगा।

नेताओं ने कहा, ‘‘हम भारत में सुरक्षित, सुगम और प्रभावशाली टीकों का उत्पादन तेज करने और बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लेते हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर चरण पर मिलकर काम करेंगे कि 2022 तक पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में टीकाकरण हो जाए।’’

क्वाड ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक पहल को अंतिम रूप दिया, जिसके तहत भारत में बड़ा निवेश किया जाएगा, ताकि उसकी कोविड-19 टीके बनाने की क्षमता बढ़ सके और वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में निर्यात के लिए 2022 तक एक अरब टीके बना ले। इसे चीन की टीके संबंधी कूटनीति का जवाब देने के लिए अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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