भविष्यपुराण और देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्र पर्व के अंत में कन्या पूजन जरूरी माना गया है। कन्या पूजन के बिना नवरात्र व्रत को अधूरा माना जाता है। कन्या पूजन अष्टमी या नवमी में से किसी एक दिन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्या पूजन के लिए दस वर्ष तक की नौ कन्याओं की आवश्यकता होती है। इन नौ कन्याओं की लोग को मां दुर्गा के नौ रूप समझकर ही पूजा करनी चाहिए। कन्या पूजन के लिए सबसे पहले व्यक्ति तो प्रातः स्नान कर विभिन्न प्रकार का भोजन (पूरी ,हलवा, खीर, भुना हुआ चना आदि) तैयार कर लेना चाहिए। सभी प्रकार के भोजन में से पहले मां दुर्गा को भोग लगाना चाहिए।