आजादी के बाद के इतिहास में अपने सबसे बड़े अभियानों में से एक के तहत रेलवे 10 लाख से अधिक फंसे मजदूरों को निकालने के लिए कमर कस रहा है. राज्यों की ओर से युद्धस्तर पर जुटाए जा रहे डाटा के अनुसार फंसे मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की संख्या करीब 40 लाख बताई गई है. हालांकि, रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर 'लोकमत समाचार' को बताया, ''हमें उनमें से 10 लाख लोगों को ढोने की संभावना है. 20 बोगियों वाली एक ट्रेन सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए 1050 यात्रियों को ले जा सकती है.''