जस्टिस शरद अरविंद बोबडे को 29 अक्टूबर, 2019 को भारत का 47वां प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 63 साल के जस्टिस बोबडे 18 नवंबर को सीजेआई पद की शपथ ग्रहण करेंगे। इससे एक दिन पहले, 17 नवंबर को उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति बोबडे 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक इस पद पर बने रहेंगे। Read More
देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे कई बड़े फैसलों के लिए जान जाते हैं। वे अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ में भी शामिल थे। ...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभी कोरोना के संकट के बीच कोई सेंट्रल विस्टा योजना पर कुछ करने नहीं जा रहा है। इसलिए जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी ही एक याचिका पहले से कोर्ट में है। ...
Judge S Muralidhar Profile: जस्टिस एस मुरलीधर की तबादले की सिफारिश पर दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की निंदा की थी. दिल्ली हाईकोर्ट के वकीलों ने भी 20 फरवरी को तबादले को लेकर हड़ताल किया था. मुरलीधर 35 सालों से न्यायिक सेवा म ...
प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ‘गुरु नानक देव के दर्शन और समता, सामाजिक न्याय और पर्यावरण में आज उनकी प्रासंगिकता’ विषय पर अपना विचार रख रहे थे। ...
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोकतंत्र के स्तंभों पर वीरेंद्र भाटिया स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा, ‘‘न्याय तुरंत नहीं हो सकता लेकिन न्याय देने में लगातार देरी भी नहीं होनी चाहिए। अन्यथा लोग अशांत हो जाएंगे और वे कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश क ...
शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर अपना फैसला सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति बोबडे को मामले की सुनवाई पूरा होने के दो दिन बाद और फैसले से सिर्फ 10 दिन पहले भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी। ...
न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि किसी भी न्यायिक प्रणाली की शीर्ष प्राथमिकता समय पर न्याय मुहैया कराना है और इसमें न तो ज्यादा देरी की जा सकती और न ही जल्दबाजी। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी से अपराध में वृद्धि हो सकती है और इससे कानून का शासन भी प्रभावि ...