चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे ने की बाइक की सवारी, वायरल हो रही तस्वीर
By गुणातीत ओझा | Published: June 29, 2020 12:17 AM2020-06-29T00:17:10+5:302020-06-29T05:42:51+5:30
देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे कई बड़े फैसलों के लिए जान जाते हैं। वे अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ में भी शामिल थे।
नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। चीफ जस्टिस की हार्ले डेविड्सन बाइक पर बैठे तस्वीर को लोग ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं। तस्वीर में चीफ जस्टिस कुछ लोगों से घिरे हुए बाइक पर बैठे नजर आ रहे हैं। उनके आसपास खड़े सभी लोगों के चेहरे पर मास्क लगा हुआ था, केवल चीफ जस्टिस ही मास्क लगाए बिना दिखे। चीफ जस्टिस का मास्क न लगाना भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
भारत के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने नागपुर प्रवास के दौरान रविवार को राजभवन में हार्ले डेविडसन बाइक का लुत्फ उठाया। इससे पहले भी चीफ जस्टिस बोबडे की कई तस्वीरें सामने आईं थीं। इन तस्वीरों में से एक तस्वीर उनके मां के साथ क्लिक की हुई थी।
देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश
याद दिला दें कि शरद अरविन्द बोबडे ने बीते साल 18 नवंबर को देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की थी। निजता के अधिकार के प्रबल समर्थक न्यायमूर्ति बोबडे ने अनेक महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं और वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में ऐतिहासिक निर्णय सुनाने वाली संविधान पीठ के भी सदस्य रहे हैं। प्रधान न्ययाधीश के रूप में न्यायमूर्ति बोबडे का कार्यकाल 17 महीने से अधिक रहेगा और वह 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे।
न्यायमूर्ति बोबडे की मां को स्ट्रेचर पर राष्ट्रपति भवन लाया गया था
न्यायमूर्ति बोबडे ने शपथग्रहण करने के तुरंत बाद अपनी मां के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया। न्यायमूर्ति बोबडे की मां को स्ट्रेचर पर राष्ट्रपति भवन लाया गया था। न्यायमूर्ति बोबडे के शपथग्रहण समारोह मे उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों के अलावा पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी उपस्थित थे। इस अवसर पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा, तीरथ सिंह ठाकुर और जे एस खेहड़ भी उपस्थित थे।
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे भी थे। इसी तरह न्यायमूर्ति बोबडे उस संविधान पीठ के भी सदस्य थे जिसने अगस्त 2017 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहड़ की अध्यक्षता में अपने फैसले में व्यवस्था दी थी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार के दायरे में आता है। वह महाराष्ट्र के वकील परिवार से आते हैं और उनके पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे।
न्यायमूर्ति बोबडे उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की उस आंतरिम समिति के अध्यक्ष थे जिसने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोप में क्लीन चिट दी थी। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक वकालत करने वाले न्यायमूर्ति बोबडे वर्ष 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। न्यायमूर्ति बोबडे ने 29 मार्च 2000 में बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह 16 अक्टूबर 2012 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। उनकी 12 अप्रैल 2013 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति हुई थी।