सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। Read More
जेएनयू प्रशासन ने तीन जनवरी को दावा किया था कि नकाब पहने छात्रों के एक समूह ने सीआईएस में जबरन प्रवेश किया और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जिससे सर्वर, सीसीटीवी निगरानी, बायोमीट्रिक उपस्थिति और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं. ...
जनवरी के शुरुआती हफ्ते में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जेएनयू के बारे में कहा था, मैं निश्चित रूप से आपको बता सकता हूं कि जब मैं जेएनयू में पढ़ता था, हमने वहां कोई 'टुकड़े-टुकड़े' गैंग नहीं देखा। ...
सीआईसी ने वित्त मंत्रालय के तहत डीईए, वित्तीय सेवा विभाग, राजस्व विभाग तथा चुनाव आयोग के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों (सीपीआईओ) को कारण बताओ नोटिस जारी करके यह भी पूछा है कि 30 दिन की निर्धारित अवधि के अंदर सूचना नहीं देने के लिए उन सभी पर जुर्माना ...
सीआईसी से पिछले पांच वर्षों में सूचना के अधिकार कानून का प्रचार-प्रसार करने एवं जागरूकता पर हुए खर्च का ब्योरा मांगा था। आरटीआई कानून, 2005 की धारा 26 में प्रावधान है कि सरकार अपने संसाधनों का उपयोग कर जनता में, विशेषकर साधनहीन समुदायों में आरटीआई के ...
नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया कि उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग से सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मिली है। ...
सूत्रों ने कहा कि सीडीएस का पद चार सितारा जनरल का पद होगा जो बराबर का ओहदा रखने वाले सेवारत सैन्य प्रमुखों में से सबसे आगे होगा। हालांकि प्रोटोकाल सूची में सीडीएस सेवारत सेना प्रमुखों से ऊपर होगा। ...
सूचना के अधिकार के तहत यह पता चला है कि लोकपाल के इस अस्थायी कार्यालय के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने मासिक किराया लगभग 50 लाख रुपये की दर से भुगतान किया है। इस विभाग ने 3 करोड़ 85 लाख रुपये का भुगतान अब तक (22 मार्च, 2019 से 31 अक्टूबर, ...