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झारखंड में हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल का विस्तार, झामुमो के पांच और कांग्रेस के दो मंत्री शामिल

By भाषा | Updated: January 28, 2020 18:46 IST

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने राजभवन में सादे समारोह में नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। सात मंत्रियों में पांच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के और दो कांग्रेस के हैं। झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की सरकार ने पिछले साल 29 दिसंबर को राज्य में सत्ता संभाली थी।

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ठळक मुद्देसत्ताधारी गठबंधन में आने वाले विधायकों एवं अन्य आकांक्षी लोगों के लिए एक मंत्री पद रिक्त रखा गया है।मुख्यमंत्री ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से भेंट कर उनसे अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए समय मांगा था।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को एक महीने पुराने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सात मंत्रियों को शामिल किया। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने राजभवन में सादे समारोह में नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी।

सात मंत्रियों में पांच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के और दो कांग्रेस के हैं। झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की सरकार ने पिछले साल 29 दिसंबर को राज्य में सत्ता संभाली थी। सोरेन ने चंपई सोरेन, हाजी हुसैन अंसारी, जगरनाथ महतो, जोबा मांझी, मिथिलेश कुमार ठाकुर (सभी झामुमो से), बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख (दोनों कांग्रेस) को मंत्रिपरिषद में शामिल किया।

महतो और ठाकुर पहली बार मंत्री बने हैं और मांझी झामुमो में शामिल होने से पहले पूर्व की राजग सरकार में मंत्री थीं। अन्य चार पूर्व की संप्रग सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। झामुमो में पांच नए मंत्रियों को शामिल किए जाने के साथ मुख्यमंत्री सोरेन सहित उनकी पार्टी के छह मंत्री हो गए हैं।

इसके अलावा कांग्रेस के चार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक मंत्री हैं। अब मंत्रिपरिषद में 11 मंत्री हो गए हैं। एक और को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। संवैधानिक प्रावधानों के तहत झारखंड में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं।

पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में 11 मंत्री ही थे। पिछले साल सोरेन के 29 दिसंबर को झारखंड के 11 वें मुख्यमंत्री बनने के बाद मंत्रिपरिषद का यह पहला विस्तार है। उनके साथ कांग्रेस के आलमगीर आलम और रामेश्वर उरांव तथा राजद के सत्यानंद भोक्ता ने भी शपथ ली थी। मंत्रिपरिषद का विस्तार 24 जनवरी को होने वाला था। पश्चिम सिंहभूम जिले में सात ग्रामीणों की हत्या के कारण मुख्यमंत्री के आग्रह पर इसे टाल दिया गया था।

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