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Bihar voter revision: वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा, SIR को लेकर रूपेश पाण्डेय ने कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 2, 2025 05:16 IST

Bihar voter revision: फर्जी वोटरों के नाम हटाए जाएंगे, बल्कि उन योग्य मतदाताओं के नाम भी जोड़े जाएंगे जो अब तक सूची में शामिल नहीं थे।

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ठळक मुद्दे42 लाख मतदाताओं के पते गायब पाए गए हैं, जबकि 7.5 लाख लोग एक से अधिक बार पंजीकृत मिले हैं।SIR को लेकर चल रही बहस ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।

पटना:बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बीच समाजसेवी और बीजेपी नेता रूपेश पाण्डेय ने SIR को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि इससे वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा। रूपेश पाण्डेय ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, "SIR अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाना है। इससे न केवल फर्जी वोटरों के नाम हटाए जाएंगे, बल्कि उन योग्य मतदाताओं के नाम भी जोड़े जाएंगे जो अब तक सूची में शामिल नहीं थे।

यह प्रक्रिया बिहार के मतदाताओं की सही स्थिति को सामने लाएगी और चुनाव को और अधिक निष्पक्ष बनाएगी।"उन्होंने आगे कहा कि SIR के तहत घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन का कार्य पूरा हो चुका है और आज, 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की गई है। "अब 2 अगस्त से 1 सितंबर तक मतदाता अपने नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।

यह एक सुनहरा अवसर है ताकि कोई भी पात्र मतदाता वोट देने से वंचित न रहे," पाण्डेय ने जोड़ा। हालांकि, विपक्षी दल, विशेषकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD), ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। RJD नेता तेजस्वी यादव ने इसे "लोकतंत्र पर हमला" करार देते हुए आरोप लगाया है कि इस अभियान के जरिए अल्पसंख्यक, दलित और विपक्ष समर्थक वोटरों के नाम हटाए जा सकते हैं।

इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है, जहां कोर्ट ने चुनाव आयोग को पारदर्शिता बरतने के निर्देश दिए हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि SIR का मकसद केवल मतदाता सूची को अपडेट करना है। आयोग के अनुसार, बिहार में 42 लाख मतदाताओं के पते गायब पाए गए हैं, जबकि 7.5 लाख लोग एक से अधिक बार पंजीकृत मिले हैं।

इस अभियान के तहत अब तक 80 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपने विवरण जमा कर दिए हैं। रूपेश पाण्डेय ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "यह अभियान किसी के खिलाफ नहीं है। यह सिर्फ बिहार के लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। हम सभी को इस प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए।" बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने की संभावना है, और SIR को लेकर चल रही बहस ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।

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