इंदौरः महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने इस बहुचर्चित मामले के अदालत में विचाराधीन होने का हवाला देते हुए इस विषय में बृहस्पतिवार को कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
हालांकि, उन्होंने मीडियाकर्मियों से प्रतिप्रश्न किया कि क्या उन्हें उनके चेहरे पर आरोप दिखाई पड़ रहे हैं? महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में किए गए सवालों पर सिंह ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,"मेरे खिलाफ लगे आरोप न्यायपालिका में विचाराधीन हैं, इसलिए मैं इस विषय में कुछ नहीं बोलूंगा। लेकिन आप मेरा चेहरा देखें। क्या आपको इस पर आरोप दिखाई पड़ रहे हैं?"
उत्तर प्रदेश के कैसरगंज क्षेत्र से भाजपा के सांसद ने कहा,"अदालत ने कहा है कि (महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में) मीडिया ट्रायल मत कराइए और सच्चाई अदालत में रखिए।" सिंह, डब्ल्यूएफआई के आगामी चुनाव में मतदाता सूची का हिस्सा नहीं हैं। इस सूची में उनका नाम नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष ने कहा,"यह भी मेरी मर्जी से है।"
सिंह पर कई महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है और उन्हें दिल्ली की एक अदालत से हाल ही में जमानत मिली है। मीडिया के साथ बातचीत से पहले, सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्याण सिंह कालवी की 31वीं पुण्यतिथि पर राजपूत समुदाय के अग्रणी संगठन "करणी सेना" द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
कल्याण सिंह कालवी करणी सेना के दिवंगत संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी के पिता थे। सिंह ने महिला पहलवानों द्वारा उन पर लगाए गए गंभीर आरोपों की ओर इशारा करते हुए पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के मंच से कहा,"आपने देखा होगा कि छह-सात महीने पहले मुझ पर एक हमला हुआ था, लेकिन मैंने अपने चेहरे पर कभी कोई शर्मिंदगी और कमजोरी नहीं आने दी।"
कार्यक्रम के दौरान श्रोताओं में शामिल कुछ लोगों ने "बजरंग पूनिया मुर्दाबाद" का नारा लगाया, लेकिन मंच पर मौजूद सिंह ने तुरंत इन लोगों से कहा कि वे इस आयोजन में ऐसी नारेबाजी ना करें। करणी सेना के नेताओं ने कार्यक्रम के मंच से सिंह के प्रति एकजुटता जताई और दावा किया कि देश में राजपूत समुदाय के नेतृत्व को दबाने की कोशिश की जा रही है। डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष ने कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान रामधारी सिंह दिनकर और हिंदी के अन्य कवियों की ओजपूर्ण कविताएं भी सुनाईं।