झज्जरः हरियाणा के झज्जर जिले में संजीत कुंडू ने 86 किलोग्राम वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में अपनी पहचान बनाई है। भारतीय नौसेना में चीफ पेटी ऑफिसर और भारत केसरी व भारत कुमार जैसे खिताब जीतने वाले चांदपुर गांव के पहलवान का लक्ष्य अब 86 किलोग्राम वर्ग में ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतना है। इसके लिए अथक मेहनत कर रहे हैं। संजीत के पिता नफे सिंह किसान हैं और मां सरोज देवी गृहिणी हैं। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उन्होंने 12 साल की उम्र में 2009 में छारा के वीरेंद्र अखाड़े में कोच आर्य वीरेंद्र दलाल और राहुल बेर्वाल के मार्गदर्शन में कुश्ती शुरू की थी।
उनकी मां ने हमेशा उनका समर्थन किया है। उनकी मां सरोज देवी उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। उन्होंने खेतों में काम किया, घर संभाला, और फिर भी समय निकाला। जब उन्होंने कुश्ती शुरू की, उनके पास संसाधन कम थे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 2015 में नई दिल्ली में एशियाई कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में 76 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतना उनके जीवन का बड़ा मोड़ था।
इससे पहले उन्होंने 2014 में पायका राष्ट्रीय चैंपियनशिप और 2015 में सब-जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता था। 2016 में खेल कोटा के तहत वह नौसेना में शामिल हुए, जिसने उन्हें स्थिरता और बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं दीं। 2019 से वह सोनीपत में नौसेना कुश्ती टीम के साथ कोच कुलदीप शेरोट के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
संजीत कुंडू का गांव के अखाड़े से अंतरराष्ट्रीय मंच तक का सफर प्रेरणादायक है, लेकिन यह भारतीय खेलों की व्यवस्थागत चुनौतियों को भी उजागर करता है। उनकी मां के बलिदानों पर निर्भरता ग्रामीण एथलीटों के लिए बुनियादी ढांचे की कमी को दर्शाती है।