लाइव न्यूज़ :

संभलः 12 से अधिक मृत व्यक्तियों को मजदूर बताकर फर्जी तरीके से मजदूरी निकाली?, मनरेगा में धोखाधड़ी, 1.05 लाख रुपये का गबन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 15, 2025 15:33 IST

Sambhal: घोटाला संभल जिले के पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव में हुआ, जो जिला मुख्यालय बहजोई से लगभग आठ किलोमीटर दूर है।

Open in App
ठळक मुद्देकागजों पर गलत तरीके से काम पूरा दिखाकर मजदूरी निकालने का आरोप है।सात महीने पहले मेरे संज्ञान में आया था और जांच के आदेश दिए गए थे।गबन 10 प्रतिशत से कम होने पर हम संबंधित अधिकारी से वसूली करते हैं।

Sambhal:उत्तर प्रदेश के संभल जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें एक दर्जन से अधिक मृत व्यक्तियों को कथित तौर पर मजदूर बताकर उनके नाम से फर्जी तरीके से मजदूरी निकाली गई। जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि मामले की जांच चल रही है और ग्राम प्रधान से वसूली शुरू कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, यह घोटाला संभल जिले के पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव में हुआ, जो जिला मुख्यालय बहजोई से लगभग आठ किलोमीटर दूर है।

गांव की मौजूदा ग्राम प्रधान सुनीता यादव पर अपने कार्यकाल के दौरान मृतक ग्रामीणों के नाम पर जॉब कार्ड बनाने और कागजों पर गलत तरीके से काम पूरा दिखाकर मजदूरी निकालने का आरोप है। संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने संवाददाताओं से कहा, "यह मामला करीब सात महीने पहले मेरे संज्ञान में आया था और जांच के आदेश दिए गए थे।

मामले में गबन 10 प्रतिशत से कम होने पर हम संबंधित अधिकारी से वसूली करते हैं। इस मामले में 1.05 लाख रुपये का गबन पाया गया, जिसकी वसूली प्रधान से की जा रही है। गांव में अन्य विकास कार्यों की भी जांच की जा रही है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।" चौंकाने वाली बात यह है कि लाभार्थी मजदूरों में एक इंटर कॉलेज के प्राचार्य का भी नाम है और उसे इसकी जानकारी नहीं थी।

मुलायम सिंह यादव इंटर कॉलेज के प्राचार्य ऋषिपाल सिंह ने कहा, "मेरी जानकारी के बिना मेरे नाम से जॉब कार्ड बना दिया गया। मैंने कभी मनरेगा के तहत काम नहीं किया, फिर भी मेरा नाम रिकॉर्ड में दर्ज है और पैसे निकाल लिए गए। जांच के दौरान मुझे पूछताछ के लिए भी बुलाया गया।" गांव के निवासी संजीव कुमार ने बताया, "मेरे दादा जगत सिंह का 2020 में निधन हो गया था।

हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनके नाम पर मनरेगा के तहत मजदूरी निकाली जा रही है। हमें तब पता चला जब अधिकारी गांव में जांच करने आए। हमने सुना है कि करीब एक दर्जन मृत व्यक्तियों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए गए हैं।" मामले में मुख्य शिकायतकर्ता निर्मल दास ने आरोप लगाया कि मौजूदा प्रधान के दिवंगत ससुर और उनके परिवार के कई सदस्यों के नाम पर भी जॉब कार्ड बनाए गए हैं।

उन्होंने कहा, "सरकारी कोष से उनके नाम पर पैसे निकाले गए। कुछ लाभार्थी तो अब गांव में रहते भी नहीं हैं, फिर भी उनकी पहचान का इस्तेमाल करके पैसे निकाले गए।" मनरेगा केंद्र सरकार की योजना है जिसके तहत ग्रामीण नागरिकों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोजगार मुहैया कराया जाता है। इस योजना के तहत आवेदक के पास जॉब कार्ड का होना जरुरी है।

टॅग्स :संभलउत्तर प्रदेश
Open in App

संबंधित खबरें

ज़रा हटकेVIDEO: सीएम योगी ने मोर को अपने हाथों से दाना खिलाया, देखें वीडियो

भारतयूपी में निजी संस्थाएं संभालेंगी 7,560 सरकारी गोआश्रय स्थल, पीपीपी मॉडल पर 7,560  गोआश्रय स्थल चलाने की योजना तैयार

भारतमुजफ्फरनगर की मस्जिदों से 55 से ज्यादा लाउडस्पीकर हटाए गए

क्राइम अलर्टEtah Accident: तेज रफ्तार ट्रक का कहर, दो मोटरसाइकिल को मारी टक्कर, तीन लोगों की मौत

भारतUP Road Accident: ट्रांसफार्मर से टकराने के बाद बस में लगी आग, 3 नेपाली यात्रियों की मौत; 24 गंभीर रूप से झुलसे

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: लगातार फ्लाइट्स कैंसिल कर रहा इंडिगो, फिर कैसे बुक हो रहे टिकट, जानें

भारतIndigo Crisis: इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, यात्रियों के लिए 37 ट्रेनों में 116 कोच जोड़े गए

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए