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नारद मामले में मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन

By भाषा | Updated: May 17, 2021 18:21 IST

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कोलकाता, 17 मई पश्चिम बंगाल में राज्य मंत्रियों को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने राज्य में लगे लॉकडाउन को तोड़ते हुए विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गिरफ्तारी देने की पेशकश की।

सीबीआई का दफ्तर निजाम पैलेस में स्थित है। यहां पर तृणमूल कांग्रेस के सैकड़ों समर्थक लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए जमा हो गए और उन्होंने मुख्य द्वार के सामने लगाये गये अवरोधकों को तोड़ दिया और केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

कुछ प्रदर्शनकारियों ने यहां पर बड़ी संख्या में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया और प्लास्टिक की बोतलें भी फेंकीं।

इसके अलावा हुगली, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिलों समेत अन्य इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाये, सड़कों को अवरुद्ध किया।

तृणमूल कांग्रेस की युवा इकाई के अध्यक्ष और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी ने प्रदर्शनकारियों से न्यायपालिका में भरोसा रखने की अपील की।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक ने ट्वीट किया, ‘‘मैं सभी से कानून का पालन करने का आग्रह करता हूं और पश्चिम बंगाल तथा उसकी जनता के व्यापक हित में लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने वाली किसी भी गतिविधि से बचने की अपील करता हूं।’’

नारद स्टिंग मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार सुबह राज्य के मंत्रियों फरहाद हकीम व सुब्रत मुखर्जी और तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा के साथ ही पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया। स्टिंग ऑपरेशन में राजनीतिक नेता कैमरे पर कथित रूप से रिश्वत लेते पकड़े गए थे।

केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि बनर्जी सुबह करीब 11 बजे सीबीआई दफ्तर पहुंच गई थी और उन्होंने “ हमारे अधिकारियों से कहा कि अगर वे चाहते हैं कि वह निजाम पैलेस से चली जाएं तो उन्हें गिरफ्तार करना होगा।”

सूत्रों ने कहा कि बनर्जी की कार्रवाई जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपे जाने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले में दखल के समान है।

मुख्यमंत्री के अलावा चटर्जी की अलग रह रही पत्नी और अब तृणमूल कांग्रेस की विधायक रत्ना, हकीम की बेटी और तृणमूल कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता भी सीबीआई के दफ्तर पहुंच गए।

गिरफ्तारियों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि सीबीआई की कार्रवाई एक प्रतिशोधपूर्ण कदम है और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार का नतीजा है।

उन्होंने कहा, “ भाजपा चुनाव जीतने के लिए हर जतन करने के बाद भी चुनाव में हार को अब भी स्वीकार नहीं कर पा रही है। यह निंदनीय कार्रवाई है।”

उन्होंने कहा, “ जब राज्य कोविड की स्थिति से निपट रहा है, तब वे इस तरह से गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।”

सत्तारूढ़ दल के सांसद सौगत रॉय ने इसे केंद्र सरकार का " प्रतिशोधात्मक" निर्णय बताया।

पार्टी के विधायक तापस रॉय ने कहा, “सीबीआई की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।”

पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने नारद मामले में बंगाल के दो मंत्रियों तथा अन्य लोगों की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया और कहा कि राज्यपाल की मंजूरी के आधार पर सीबीआई ने जो कदम उठाया है वह कानून संगत नहीं है।

बिमान बनर्जी ने कहा, ‘‘मुझे सीबीआई की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है और न ही प्रोटोकॉल के तहत आवश्यक मंजूरी मुझसे ली गई।’’

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सीबीआई अपना आरोपपत्र तैयार कर रही है और उन सबको गिरफ्तार किया गया।

विधानसक्षा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘वे राज्यपाल के पास क्यों गए और उनकी मंजूरी क्यों ली, इसकी वजह मुझे नहीं पता। तब विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली नहीं था और मैं पद पर था। यह मंजूरी पूरी तरह से गैरकानूनी है और इस मंजूरी के आधार पर किसी को गिरफ्तार करना भी गैरकानूनी है।’’

राज्य में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों का संज्ञान लेते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से “विस्फोटक स्थिति” को संभालने का अनुरोध करते हुए उनसे “इस तरह की अराजकता और संवैधानिक तंत्र की विफलता के नतीजों” का आकलन करने को कहा।

गिरफ्तारियों पर टिप्पणी करते हुए भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बिश्वजीत भट्टाचार्य ने पीटीआई-भाषा से कहा कि कार्रवाई कानून के बजाय दुर्भावनापूर्ण लगती है।

भट्टाचार्य ने कहा, “तकनीकी बारीकियों में ना जाते हुए यह माना जाएगा कि राज्य सरकार का एक मंत्री कानून की किसी भी एजेंसी के सामने किसी भी पूछताछ के लिए जाहिर तौर पर खुद को पेश करेगा।”

उन्होंने कहा, “ चूंकि यह चार साल पुराना मामला है और सबूत टेप में हैं तो इसके साथ छेड़छाड़ का सवाल ही नहीं है। इन परिस्थितियों और गिरफ्तारी पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों को देखते हुए ये समझ से परे है कि इन मंत्रियों को क्यों गिरफ्तार किया गया है।”

वरिष्ठ वकील अरूणव घोष ने पीटीआई-भाषा से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के पास भ्रष्टाचार निवारण कानून में गिरफ्तारी को मंजूरी देने का कोई अधिकार नहीं है।

हकीम, मुखर्जी और मित्रा हाल में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में फिर से विधायक चुने गये हैं जबकि चटर्जी ने भाजपा में शामिल होने के लिए तृणमूल को छोड़ा और उन्होंने दोनों पार्टियों से संबंध तोड़ लिए हैं।

यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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