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आरोपियों की शिकायत का समाधान नहीं हुआ तो मैं जेल में निरीक्षण करने स्वयं जाऊंगा: न्यायाधीश

By भाषा | Updated: November 3, 2020 20:57 IST

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नयी दिल्ली, तीन नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में आरोपियों के इन आरोपों के बाद तिहाड़ जेल के अधिकारियों से नाराजगी जताई कि उन्हें वे बुनियादी चीजें भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं, जिनकी अनुमति जेल नियम देते हैं। अदालत ने कहा कि यदि चीजों में सुधार नहीं होता है तो न्यायाधीश जेल में स्थिति का निरीक्षण करने स्वयं जाएंगे।

अदालत ने दिल्ली जेल महानिदेशक को निर्देश दिया कि वह मामले के सभी 15 आरोपियों की शिकायतों को देखें और मंडोली तथा तिहाड़ जेलों में स्थिति का निरीक्षण करने का किसी को आदेश दें।

इन आरोपियों को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत नामजद किया गया है।

अदालत ने अधिकारियों से कहा कि वे 23 नवंबर को स्थिति के बारे में उसे अवगत कराएं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा, ‘‘यह खत्म होना चाहिए। महानिदेशक जेल, को स्थिति का निरीक्षण करने, समस्याओं को देखने के लिए किसी को निरीक्षण करने का आदेश देने का निर्देश दिया जाता है। यदि चीजें नहीं सुधरती हैं तो मैं स्वयं निरीक्षण के लिए जाऊंगा और मेरे साथ वकील भी चल सकते हैं।’’

अदालत ने कहा कि संबंधित जेल अधीक्षक की उपस्थिति सहायक नहीं हो सकती क्योंकि वह सिर्फ एक जेल के लिए जिम्मेदार हैं जबकि शिकायतों से ऐसा लगता है कि यह सभी जेलों की समस्या है।

इसने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में अदालत निर्देश देती है कि सुनवाई की अगली तारीख में एक ऐसा अधिकारी पेश हो जिसकी रैंक अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) से कम न हो। यदि अगली तारीख तक शिकायतों या मुद्दों का समाधान नहीं होता तो अदालत बाध्य होगी कि अधोहस्ताक्षरी (न्यायाधीश) अभियोजक और बचाव पक्ष के वकील के साथ खुद जेल जाकर स्थिति का जायजा लें।’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई सुनवाई में 15 में से सात आरोपियों ने कहा कि उन्हें गरम कपड़े नहीं दिए गए हैं जबकि जेल नियमों के तहत इसकी अनुमति है, और जेल अधिकारियों ने कहा है कि इसके लिए उन्हें अदालत के आदेश की आवश्यकता है।

आरोपी गुलफिशा खातून की ओर से पेश वकील महमूद प्राचा ने कहा कि सर्दियों में गरम कपड़े उपलब्ध कराने के लिए आवेदन दायर करना पड़ा क्योंकि जेल अधिकारियों ने कहा कि अदालत के निर्देश के बिना वे यह काम नहीं कर सकते।

अदालत ने जब आवेदन को स्वीकार कर लिया तो जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्राओं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल की ओर से पेश वकील अदिति पुजारी ने आग्रह किया कि आदेश को सभी आरोपियों के लिए विस्तारित किया जाए क्योंकि हर कोई एक जैसी समस्या का सामना कर रहा है।

आरोपियों में से एक पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल ने अपने घर से एक जोड़ी चप्पल उपलब्ध कराए जाने का आग्रह किया था क्योंकि जेल अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई गईं चप्पल फिसलती हैं और इसकी वजह से उसे गंभीर चोट आई, लेकिन अधिकारियों ने उसे घर से चप्पल उपलब्ध कराए जाने की अनुमति नहीं दी।

इशरत के वकील ने कहा कि जब उनकी मुवक्किल के माता-पिता कल उसे गरम कपड़े देने पहुंचे तो जेल अधिकारियों ने इसकी अनुमति नहीं दी।

अदालत से इशरत ने इस आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी कि मंडोली जेल में कई कैदियों को कोविड-19 के लक्षण उत्पन्न हो गए हैं और इससे वह चिंतित है।

न्यायाधीश ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी समझ में नहीं आ रहा कि आरोपियों को इस तरह की मूलभूत चीजों के लिए हर बार अदालत से संपर्क क्यों करना पड़ता है।

उन्होंने उल्लेख किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपियों को जेल में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

अन्य आरोपी अतहर खान ने दावा किया कि कोविड-19 के लक्षणों के बाद दो कैदियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि कई को पृथक किया गया है। वहां कोई स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है और इसलिए उन्हें बैरकों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा ने आरोप लगाया कि जेल अधिकारी उसके साथ भेदभाव कर रहे हैं और पिछले कई महीनों से उसे परिवार के सदस्यों से नहीं मिलने दिया जा रहा है, जबकि अन्य कैदियों को उनके परिजनों से मिलने दिया जा रहा है। जब वह जेल अधिकारियों से इसकी शिकायत करता है तो वे कहते हैं कि यह आंदोलन की जगह नहीं है।

उसकी वकील एस शंकरन ने कहा कि जेल अधिकारियों ने यहां तक कि उसकी जमानत खारिज करने वाले आदेश की प्रति तक उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया।

अन्य आरोपी मीरान हैदर ने कहा कि गरम कपड़ों के बिना ठंड के चलते उसे बुखार आ गया, लेकिन वह जेल अधिकारियों तक अपनी शिकायत पहुंचाने में असमर्थ है।

दंगों में बड़ी साजिश से जुड़े होने संबंधी मामले के आरोप पत्र में जामिया समन्वय समिति के सदस्यों-सफूरा जरगर, शफा उर रहमान, निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक और मोहम्मद सलीम खान का भी नाम शामिल है।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोधियों और समर्थकों में झड़प के बाद 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे और लगभग 200 अन्य घायल हुए थे।

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