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डीआईजी ने खोली बिहार पुलिस के जवानों की पोल, कहा- गोली चलाना तो दूर की बात है राइफल भी कॉक नही कर सकते हैं जवान

By एस पी सिन्हा | Updated: May 28, 2021 22:07 IST

बिहार में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार के वक्त पुलिस की राइफल फेल होने का मामला नया नहीं है। 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र के अंतिम संस्कार के समय भी किसी पुलिसकर्मी के राइफल से फायर ही नहीं हुआ था।

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ठळक मुद्देइस मामले में पहले भी पूरे देश में बिहार पुलिस की जमकर फजीहत हुई थी। इसके अलावे भी कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जब मौके पर जवान गोली नही चला पाते हैं।

बिहार में पुलिस अपराधियों पर नकेल कसने का दावा भले ही करती है। लेकिन इस दावे के विपरीत मुंगेर के डीआईजी शफीउल हक ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि बिहार पुलिस के सिपाहियों को जरूरत पडने पर गोली चलाना तो दूर राइफल भी कॉक करने नहीं आता। डीआईजी ने कहा है कि इन पुलिसकर्मियों ने पूरी बिहार पुलिस का मजाक बना कर छोड दिया। लिहाजा उन्हें सजा देना जरूरी है।

दरअसल, मामला मुंगेर जिले में पिछले महीने 4 अप्रैल को पूर्व विधान पार्षद औऱ इमारत-ए-सरिया के प्रमुख मौलाना वली रहमानी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जा रहा था। इस दौरान बिहार पुलिस की फिर से भद्द पिट गई थी। अंतिम संस्कार के दौरान फायरिंग कर मृतक को राजकीय सम्मान दिया जाना था, लेकिन 10 में से 6 पुलिसकर्मियों के राइफल से गोली ही नहीं चली। 

मौलाना वली रहमानी के अंतिम संस्कार के समय बिहार पुलिस के दो हवलदार समेत 8 सिपाही सम्मान देने के लिए उपस्थित थे। इसके बाद इस मामले की जांच की जिम्मेवारी मुंगेर के डीआईजी शफीउल हक को सौंपी गई थी। उन्होंने मामले की जांच की और और अपनी जांच रिपोर्ट में यह कहा कि बिहार पुलिस के जवान जरूरत पडने पर गोली  चलाना तो दूर की बात है राइफल भी कॉक नही कर सकते हैं। डीआईजी ने इस मामले में 8 पुलिसकर्मियों को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की है।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकीय सम्मान देने के लिए जिन जवानों को राइफल से गोली चलाना था। उसमें से मुंगेर पुलिस के हवलदार धनेश्वर चौधरी के साथ सिपाही मुकेश कुमार, मुनेश्वर कुमार, सुमन कुमार, रंजन कुमार और गौरी शंकर गुप्ता की राइफल नहीं चली। उन्हें देखकर ऐसा लगा कि गोली चलाना तो दूर की बात उन्हें तो राइफल को कॉक करना नहीं आता है। 

जब वे अपनी राइफल में गोली भर रहे थे तो उनसे कई गोली भरने के दौरान ही गिर गई थी। डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अंतिम संस्कार के समय गोली नहीं चलने की सबसे बडी जिम्मेवारी सार्जेंट मेजर अशोक बैठा की है। सार्जेंट मेजर ने सही हथियार औऱ गोली उपलब्ध नहीं कराया था। उन्होंने सही जवानों को भी अंतिम संस्कार के दौरान तैनात नहीं किया। 

उसके साथ ही ये जिम्मेवारी इंस्पेक्टर रामलाल यादव की भी थी। इन्हीं दोनों के कारण पुलिस को शर्मिंदा होना पडा। दोनों अधिकारियों के सीआर में एक एक निंदन यानि एडवर्स एंट्री की सजा दी गई है। वहीं अंतिम संस्कार के समय जिन 6 पुलिसकर्मियों की राइफल से गोली नहीं चली उन्हें दो-दो निंदन की सजा दी गई है।

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