नई दिल्लीः कोरोना महामारी में सरकार और आईसीएमआर के कुप्रबंधन के कारण लगभग 68 लाख लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यह दावा है आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक अनूप अग्रवाल ने किया है।
भारत में कोरोना के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा 43 लाख से 68 लाख के बीच हो सकता है। उनका मानना था कि अगर सही प्रबंधन सरकार और आईसीएमआर द्वारा किया जाता तो लोगों को बचाया जा सकता था।
अनूप अग्रवाल अकेले वैज्ञानिक नहीं हैं। एक अन्य वैज्ञानिक सोमदत्ता सिन्हा ने सरकार पर यहां तक आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे अपने आकाओं को खुश करने के लिये लगातार गलत आंकड़े पेश किये ताकि लोगों को महसूस हो कि सरकार बेहतर काम कर रही।
इन वैज्ञानिकों ने आईसीएमआर पर गंभीर आरोप लगाते हुये साफ किया कि जिन वैज्ञानिकों ने इन गलत आंकड़े पेश किये जाने का विरोध किया उनको जबरन आईसीएमआर छोड़ने पर मज़बूर कर दिया गया। उल्लेखनीय कि इसी कुचक्र का शिकार हुए अनूप अग्रवाल आईसीएमआर छोड़ कर इन दिनों मैक्सिको में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
आईसीएमआर के तमाम वैज्ञानिकों से तथ्य जुटा कर कांग्रेस ने आज प्रधानमंत्री मोदी और आईसीएमआर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूरे मामले की आपराधिक मामलों की तरह उच्च स्तरीय जांच की मांग की। पार्टी के महासचिव अजय माकन 10 मुद्दों को सामने रखते हुये कहा कि यह एक अत्यंत गंभीर मामला हैस जिसकी जांच होनी चाहिये तथा यह भी सरकार बताये कि कोरोना से मरने वालों की संख्या 4 लाख 43 हज़ार होने का जो दावा सरकार कर रही है, उन आंकड़ों का स्रोत क्या है और किस आधार पर यह दावा किया जा रहा है।
पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने यह भी कहा कि इस जांच के दायरे में आईसीएमआर के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को भी लाया जाना चाहिए। उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘इकोनॉमिस्ट’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि इस पत्रिका के आकलन के अनुसार, भारत में कोरोना के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा 43 लाख से 68 लाख के बीच हो सकता है।