नई दिल्ली: देश की सर्वेच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फिट शरीर के राज का खुलासा करते हुए बताया कि वो हर दिन सुबह में योगाभ्यास करते हैं और शाकाहारा का पालन करते हैं। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने यह बात गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट परिसर में बने आयुष समग्र कल्याण केंद्र का उद्घाटन करते हुए बताई।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि समग्र जीवनशैली न केवल न्यायाधीशों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्टाफ सदस्यों के लिए भी यह बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, "मैंने लगभग एक साल पहले पंचकर्म कराया था और अब मैं इसे दोबारा करने की उम्मीद कर रहा हूं, क्योंकि यह मौसम उसके लिए ठीक है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में हमारे सहयोगी सभी 34 न्यायाधीशों सहित 2000 से अधिक स्टाफ सदस्य हैं। जिन्हें अपने दैनिक कार्यों में जबरदस्त तनाव झेलना पड़ता है, जिससे फाइलों पर भारी काम का बोझ पड़ जाता है। मेरा मानना है कि समग्र जीवनशैली पर विचार करना महत्वपूर्ण है, न केवल न्यायाधीशों और उनके परिवारों के लिए बल्कि स्टाफ सदस्यों के लिए भी।"
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "पारंपरिक आयुर्वेद के लाभों पर मैं सभी डॉक्टरों और आयुष का बहुत आभारी हूं। उनके पास साकेत में एक अद्भुत सुविधा है और अब हम इसे सुप्रीम कोर्ट में ला रहे हैं। इसमें योगदान देने वाले प्रत्येक डॉक्टर ने सारी सुविधाओं को वैज्ञानिक रूप से इसे तैयार किया है। हम इसे सुप्रीम कोर्ट और इसके माध्यम से पूरे देश के सामने पेश कर रहे हैं।"
इसके साथ मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अपनी कल्याण प्रथाओं पर अंतर्दृष्टि साझा करते हुए कहा, "मैं प्रतिदिन सुबह में योगाभ्यास करता हूं। मैं आज सुबह 3:30 बजे योग करने के लिए उठा। इसके अलावा मैं पिछले 5 महीनों से शाकाहारी आहार का पालन कर रहा हूं। मैं जीवन के समग्र पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहा हूं।"
इससे पहले बीते बुधवार को आयुर्वेदिक हस्तक्षेप के माध्यम से स्वास्थ्य जांच और प्रबंधन की संयुक्त राष्ट्रीय स्तर की परियोजना की घोषणा के दौरान, केंद्रीय आयुष और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए हमें हर भारतीय को रोगमुक्त बनाना है।”
केंद्रीय मंत्री सोनेवाल ने कहा कि इस परियोजना से 20,000 से अधिक आदिवासी छात्रों को लाभ होगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय ने अपनी अनुसंधान परिषद, सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) के माध्यम से जनजातीय मामलों के मंत्रालय और आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ, जबलपुर के साथ मिलकर आदिवासी छात्रों के लिए यह आयुष स्वास्थ्य पहल की है।