चेन्नई, 16 नवंबर तमिलनाडु में सत्ताधारी दल अन्नाद्रमुक ने सोमवार को भाजपा को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वह भाजपा की ‘वेल यात्रा’ को अनुमति नहीं देगा और धर्म के आधार पर वोट बैंक की राजनीति नहीं करने दी जाएगी।
कोविड-19 के मद्देनजर यात्रा को मंजूरी न दिए जाने का समर्थन करते हुए अन्नाद्रमुक के मंत्रियों के बयान के बीच पार्टी के मुखपत्र में कहा गया कि राज्य, द्रविड़ विचारधारा का उद्गम स्थल है और यहां धर्मांधता के लिए जगह नहीं है।
तमिल अखबार ने भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वनती श्रीनिवासन के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था कि यात्रा को रोकने से गलत संदेश जाएगा।
अन्नाद्रमुक ने कहा कि तमिलनाडु में ऐसी यात्राओं को अनुमति नहीं दी जाएगी, जिनका उद्देश्य लोगों को जाति और धर्म के आधार पर बांटना है।
मुखपत्र में कहा गया कि तमिलनाडु के लोगों ने हमेशा यह सिद्ध किया है कि राज्य द्रविड़ विचारधारा का उद्गम स्थल रहा है और यहां धर्मांधता के लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि धर्म केवल समरसता बढ़ाने का माध्यम है।
मुखपत्र में कहा गया कि हिंदू, ईसाई या इस्लाम, सभी धर्म प्रेम, शांति और समानता सिखाते हैं और अन्नाद्रमुक जाति और धर्म के परे जाकर देखने वाली पार्टी है।
मुखपत्र में कहा गया कि पार्टी धर्म के आधार पर वोट बैंक की राजनीति को मंजूरी नहीं देगी और जो लोग वेल यात्रा निकालना चाहते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए।
हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि यह सच्चाई से परे हैं।
भाजपा की तमिलनाडु इकाई के महासचिव के टी राघवन ने पीटीआई-भाषा से कहा कि तमिलनाडु में हिंदू धार्मिक मान्यताओं को पिछले कुछ सालों से लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में “करूपर कूटम” का प्रकरण इसका उदाहरण है।
भाजपा ने कहा था कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एल मुरुगन के नेतृत्व में निकाली जाने वाली यात्रा का उद्देश्य द्रमुक को बेनकाब करना है, जिसने करूपर कूटम नामक नास्तिकों के एक समूह का समर्थन किया था जिन्होंने वेल धारी भगवान मुरुग की शताब्दियों पुरानी तमिल स्तुति ‘कंद षष्टी कवचम’ का अपमान किया था।
यात्रा निकालने का बचाव करते हुए राघवन ने द्रमुक के बड़े नेता एम के स्टालिन का हवाला देते हुए कहा कि वह हिंदू रीतियों और परंपराओं की आलोचना करते हैं।
राघवन ने कहा, “यदि वह कहते हैं कि हिंदू मान्यताओं का अपमान करना उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तो अगर हम उनसे सवाल करते हैं तो इसमें क्या बुराई है?”
केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन 22 और 23 नवंबर को यात्रा में भाग ले सकते हैं।
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