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भीमा कोरेगांव मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट की तीसरी जज जस्टिस साधना जाधव मामले की सुनवाई से हटीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 19, 2022 2:46 PM

बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस साधना जाधव ने कहा कि उनके सामने एल्गार परिषद का कोई मामला नहीं रखा जाना चाहिए। बचाव पक्ष अब इन मामलों को दूसरी पीठ को सौंपने के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता से संपर्क करेगा।

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ठळक मुद्देजस्टिस जाधव ने कहा कि उनके सामने एल्गार परिषद का कोई मामला नहीं रखा जाना चाहिए। बचाव पक्ष अब इन मामलों को दूसरी पीठ को सौंपने के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता से संपर्क करेगा।जस्टिस शिंदे, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा और वरवर राव द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर सुनवाई करेंगे।

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस साधना जाधव ने भी भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में कई याचिकाओं पर सुनवाई से अलग हो गईं। ऐसा करने वाली हाईकोर्ट की वह तीसरी जज हैं।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, उनके सामने जिन मामलों को सुनवाई के लिए लाया गया था उनमें मैलवेयर के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य लगाने का आरोप लगाने वाली दो याचिकाएं भी शामिल हैं।

जस्टिस जाधव ने कहा कि उनके सामने एल्गार परिषद का कोई मामला नहीं रखा जाना चाहिए। बचाव पक्ष अब इन मामलों को दूसरी पीठ को सौंपने के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता से संपर्क करेगा।

साल 2021 तक जस्टिस एसएस शिंदे की अगुवाई वाली बेंच एल्गार परिषद की सभी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। हालांकि, असाइनमेंट में बदलाव के कारण मामलों को जस्टिस नितिन जामदार की बेंच और जस्टिस पीबी वराले की पीठ को ट्रांसफर कर दिया गया।

हालांकि, जस्टिस वराले की पीठ ने पिछले महीने इस मामले से जुड़े मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। जस्टिस एसएस शिंदे की वैकल्पिक पीठ ने भी पिछले महीने मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया।

हालांकि, जस्टिस शिंदे, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा और वरवर राव द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर सुनवाई करेंगे, जिसमें उनके आदेश में जमानत और तथ्यात्मक सुधार की मांग की गई थी।

क्या है भीमा कोरेगांव मामला?

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को हिंसा हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 16 नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और 40 अन्य के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था।

एनआईए ने उन पर प्रतिबंधित भाकपा (माओवादियों) के प्रमुख संगठनों के सदस्य होने के नाते सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश का आरोप लगाया है।

सुधा भारद्वाज और वरवर राव के अलावा सभी आरोपी अभी भी जेल में हैं। वहीं, फादर स्टेन स्वामी की जमानत याचिका पर सुनवाई से पहले ही मौत हो गई।

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