किसी भी तरह के अमानवीय कृत्य के खिलाफ एक जागरूक समाज की प्रतिक्रिया आना जरूरी है लेकिन ऐसा करते हुए यह भी याद रखना लाजमी है कि विरोध, आक्रोश या नाराजगी व्यक्त करते वक्त कानून का उल्लंघन न हो जाए। भारत में ऐसा देखा गया है कि आम तौर पर यौन अपराधों के खिलाफ नाराजगी या प्रदर्शन करते वक्त लोग कानून का ध्यान नहीं रखते हैं लेकिन बता दें कि अगर आप भी ऐसा करते हैं तो निश्चित तौर पर आप पर भी सजा की गाज गिर सकती है।
हाल के हैदराबाद के रेप और हत्या के मामले की भयानकता ने देश में हर किसी के दिल के झकझोर कर रख दिया है। सड़क से लेकर संसद तक प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मामले ने दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले की कड़वी यादों का हरा कर दिया है। हैदराबाद के मामले में पीड़िता और मृतका के प्रति जज्बात साझा करते हुए लोग सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीर और नाम साझा कर रहे हैं।
जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनके लिए जानकारी है कि बलात्कार पीड़ित किसी भी व्यक्ति की नाम और फोटो कहीं साझा नहीं करना चाहिए क्योंकि इस तरह से पीड़ित और उसके परिवार की निजता का हनन होता है। नाम उजागर होने से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे परिवार को और जूझना पड़ सकता है या उसे मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ सकती है। इस तरह से कोई अपराधी प्रवृत्ति का आदमी फायदा भी उठा सकता है।
लोगों को रेप पीड़ित की पहचान उजागर करने से रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में सजा का प्रावधान है। आईपीसी की धारा 228 के तहत बलात्कार या यौन अपराध से पीड़ित व्यक्ति की पहचान उजागर करने पर दो साल कैद की सजा हो सकती है।